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रिपोर्ट- मंगला तिवारी

मिर्जापुर: मां विंध्यवासिनी अनादिकाल से आस्था का केंद्र रहे विन्ध्य पर्वत और पतित पावनी माँ गंगा के संगम तट पर श्रीयंत्र पर विराजमान हैं. यह वह धार्मिक स्थल है जहां जहां माँ विंध्यवासिनी, मां काली और अष्टभुजा देवी का त्रिकोण है. ऐसी मान्यता है कि मां के तीनों स्वरूपों का दर्शन कर श्रद्धालु अपनी मनोकामना को प्राप्त करते हैं. तीनों स्वरूप इच्छा, क्रिया और ज्ञान की देवियों के रूप में जाने जाते हैं. आज आपको बताते हैं विंध्य पहाड़ियों के बीच एक गुफा में स्थित काली खोह मंदिर का रहस्य, जहां देवी की मूर्ति खेचरी मुद्रा में स्थापित हैं.

देश के ज्यादातर मंदिरो में मां के विग्रह का मुख सामने की तरफ होता है. लेकिन मिर्जापुर जनपद के विंध्याचल में स्थित मां काली देवी का मस्तक ऊपर आकाश की तरफ है. जिसे खेचरी मुद्रा कहते हैं. अपने इस अनोखेपन के लिये प्रसिद्ध यह विश्व का एकमात्र मंदिर है. इस महाकाली मंदिर को लोग काली खोह के नाम से ज्यादा जानते हैं. इस मंदिर का तंत्र साधना के लिए सबसे ज्यादा महत्व है.

दर्शन पूजन से मिलती है विकारों से मुक्ति

अध्यात्मिक धर्मगुरु त्रियोगी नारायण उर्फ मिठ्ठू मिश्र बताते हैं कि कालीखोह में आदि शक्ति मां विंध्यवासिनी की त्रिकोण शक्ति की दूसरी बिंदु महाकाली हैं. भगवती के इस मंदिर में मां आकाश की तरफ मुंह खोले खेचरी मुद्रा में है. मां का यह अद्वितीय विग्रह है. उन्होंने बताया कि यह मुद्रा रक्तबीज के संहार के समय की है. जब मां ने रक्तबीज के रक्तों से सृष्टि को बचाने के लिए मुंह खोला था. यह देवी का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भोग को स्पर्श नहीं बल्कि ग्रहण कराया जाता है. उन्होंने बताया कि किसी भी प्रकार के विकार से युक्त व्यक्ति यदि मां के इस विग्रह का दर्शन पूजन करता है तो भगवती उसे समस्त विकारों से मुक्त कर देती हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Mirzapur news, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : March 28, 2023, 15:21 IST

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