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संजय यादव/बाराबंकी: अयोध्या राज्य का अंश रहे बाराबंकी जिले का सतरिख इलाका कभी सप्तऋषि धाम और आश्रम के रूप में जाना जाता था.मान्यता है कि यह महर्षि वशिष्ठ का आश्रम था जहां सप्तऋषियों (वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज) ने भी यहीं पर तपस्या की थी. साथ ही भगवान राम ने अपने तीनों भाइयों के साथ यहां शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की थी. बाद में विदेशी आक्रमणकारियों ने इस आश्रम को ध्वस्त कर दिया था. लेकिन अब अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही सतरिख को भी एक बार फिर से सप्तऋषि धाम के रूप में विकसित किया जाएगा. जिसको लेकर यहां के लोगों नें काफी उत्साह है.

बाराबंकी के सतरिख-चिनहट मार्ग पर सप्तऋषि आश्रम स्थित है. इस आश्रम में सप्तऋषियों की मूर्तियां स्थापित है. कहा जाता है कि यहां पर भगवान श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण, भरत,शत्रुघ्न के साथ सप्तऋषियों से शिक्षा-दीक्षा ली थी. अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर इस आश्रम के लोगों में भी खास उत्साह है.

पग-पग पर मिलते हैं राम के प्रमाणसप्तऋषि धाम के महंत नानक शरण दास उदासीन ने बताया कि धनुष विद्या सीखने के बाद प्रभु राम ने राक्षसों का संहार किया. आज भी इस आश्रम में ऐसी कई चीजें हैं जो इन सभी बातों का प्रमाण देती हैं भगवान राम जब धनुष विद्या सीख रहे थे, तब एक तीर जाकर करीब 1,5 किलोमीटर दूरी पर गड़ गया था. जो आज भी मौजूद है. जिसकी लोग आज भी पूजा अर्चना करते हैं. पास में कुआं है और एक नदी बहती है जहां भगवान राम स्नान करते थे. इसी कुंआ से आश्रम के सभी विद्यार्थी पानी पीते थे.

गुरुकुल था सप्तऋषि आश्रमभगवान राम के जन्म से पहले यह सप्तऋषि आश्रम एक गुरुकुल था. ऋषि मुनि यहां निवास करते थे. यहां कई ऐसे राक्षस भी हुआ करते थे, जो ऋषि मुनियों को यज्ञ अनुष्ठान भंग कर देते थे. ऐसे में राक्षसों से छुटकारा पाने के लिए गुरु विश्वामित्र खुद अयोध्या गए. उन्होंने वहां देखा कि राम 13 वर्ष की आयु के हो गये हैं. जिसके बाद गुरु विश्वामित्र ने राजा दशरथ से चारों भाइयों को मांगा और सप्त ऋषि आश्रम लेकर आए. उन्होंने चारों भाइयों को यहीं पर धनुष विद्या सिखाई.

इन 3 ऋषियों का राम के जीवन में बड़ा महत्वसाहित्यकार अजय गुरू जी ने बताया कि रामायण कालखंड के तीन बड़े ऋषि हुए हैं. जिनमें उत्तर भारत के महर्षि वशिष्ठ, दक्षिण भारत में महर्षि अगस्त और मध्य भारत में महर्षि विश्वामित्र शामिल हैं. दुनिया में जहां कहीं भी राम हैं, वहां इन तीनों ऋषियों की चर्चा जरूर होगी. महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम और उनके भाइयों को शास्त्र ज्ञान दिया था. वहीं महर्षि अगस्त ने शस्त्र और शास्त्र दोनों विद्या सिखाई. जबकि महर्षि विश्वामित्र के निर्देशन में भगवान राम ने अपने जीवन का बहुत बड़ा काल खंड बिताया. जिसमें उन्होंने कई राक्षसों का भी विध्वंस किया था.

सैयद सालार साहू गाजी ने किया था आश्रम ध्वस्तसाहित्यकार अजय गुरू जी ने बताया कि 1028 ई. के आसपास जब महमूद गजनवी के बहनोई सैयद सालार साहू गाजी ने अपने लड़के सालार मसूद के साथ इस क्षेत्र पर आक्रमण किया. तब उन्होंने ही महर्षि वशिष्ठ का आश्रम और मंदिर विध्वंस किया था.
.Tags: Barabanki News, Local18, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : January 6, 2024, 18:22 IST

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