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Benefits of Plank Pose: योग करने से सेहत को कई फायदे हो सकते हैं. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं फलकासन के फायदे. जी हां, फलकासन का नियमित अभ्यास करने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं. फलकासन या प्लैंक पोज में अधिक जोर संतुलन और ताकत को बढ़ाने पर दिया जाता है. इसमें स्ट्रेचिंग पर ज्यादा जोर नहीं दिया जाता. इस आसन के अभ्यास से कोर मसल्स और कंधों पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है. 
क्या है फलकासनफलकासन (Phalakasana) को अंग्रेजी में प्लैंक पोज (Plank Pose) भी कहा जाता है. पहले शब्द फलक का अर्थ लकड़ी का तख्ता होता है, जबकि दूसरे शब्द आसन का अर्थ बैठना होता है. इस आसन को करने के दौरान शरीर लकड़ी के तख्ते की तरह ही सीधा और सख्त रखना होता है. ये नाम इसे इसकी स्थिति की वजह से मिला है. 
फलकासन करने की विधि (Method of doing Plank Pose)
सबसे पहले जमीन पर योगा मैट बिछाएं और फिर उत्तानासन की स्थिति में आएं.
अपने बाएं पैर को पीछे ले जाए और उसी तरह दाएं पैर को भी पीछे लेकर जाएं.
अब जमीन पर रखे हाथों को सीधा करें और हाथों की उंगलियों को पूरी तरह से फैला लें.
ध्यान दें कि आपके शरीर का पूरा भार आपके पंजों पर होना चाहिए.
इस आसन को करने के दौरान अपने घुटनों को ना मोड़ें.
अब एक सीध में कुछ समय तक रहें और उसके बाद पुरानी अवस्था में आ जाएं.
फलकासन के अभ्यास से मिलने वाले लाभ (Benefits of practicing Phalakasana)
1. एकाग्रता बढ़ती हैफलकासन का सबसे बड़ा फायदा यही है कि ये एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है. ये आपको फोक्सड रहना सिखाता है और एकाग्रता को सुधारता है.
2. मसल्स मजबूत होती हैंफलकासन एक ऐसा आसन है, जिसके नियमित अभ्यास से कंधे, अपर आर्म्स, फोरआर्म्स और कलाई के आसपास की मांसपेशियां टोन और मजबूत होती हैं.
3. मसल्स को लचीला बनाने में हेल्पफुलफलकासन ने शरीर की मसल्स जैसे हैमस्ट्रिंग, क्वाड्रिसेप्स, पिंडली भी टोन होती है. रोज करने से इन अंगों में मजबूती और लचीलापन भी बढ़ता है.
4. एब्स को आकार मिलता है
पेट की मांसपेशियों या कोर एब्स को टोन करना वाकई सबसे कठिन होता है, लेकिन फलकासन में सबसे ज्यादा जोर पेट की मसल्स पर ही पड़ता है. इस आसन के नियमित अभ्यास से ये टोन होती हैं और शरीर को थोड़े ही वक्त में सुडौल आकार मिलने लगता है.
5. चेस्ट की मसल्स टोन होती हैंफलकासन के दौरान चेस्ट को फैलाना पड़ता है, इससे चेस्ट की मसल्स को अच्छा सपोर्ट मिलता है और वे टोन होने लगती हैं. इसके अभ्यास से हमारे फेफड़ों की सांसों को स्टोर करने की क्षमता बढ़ जाती है. इससे रेस्पिरेटरी सिस्टम या श्वसन तंत्र भी बेहतर बनता है.
फलकासन के अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अनियंत्रित ब्लड प्रेशर, अवसाद और कार्पल टनल सिंड्रोम जैसी बीमारियों से ग्रस्त लोग इस योगासन का अभ्यास न करें. 
अगर किसी की कोहनी, पीठ, घुटने, रीढ़ की हड्डी या फिर कंधे में चोट लगी है या शरीर के अन्य किसी अंग में दर्द की समस्या है तो वह इस योगासन का अभ्यास न करे.
पीरियड्स और गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को भी इस योगासन का अभ्यास करने से बचना चाहिए.
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यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.

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