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रिपोर्ट-आदित्य कृष्णअमेठी. अपनों से ही जीवन की जीत और अपनों से ही जीवन की हार होती है. आपने अपनों द्वारा अपनों को सताने और उनके साथ दुर्व्यवहार करने की शिकायतें और लातादात कहानियां सुनी और देखी होंगी, लेकिन जो तस्वीर हम आपको दिखा रहे हैं वह कोई कहानी, नहीं बल्कि अपनों से सताये बुजुर्गों की जिंदगानी है. कहानी है उस पिता की जिसने बुढ़ापे में बेटे का सहारा मिलने का सपना देखा था. यह कहानी है उस मां की जिसने अपने बच्चे को जन्म देने के बाद यह सोचा था कि उनका बेटा उनकी जिंदगी में बूढ़ी आंखों की रोशनी बनेगा, लेकिन आज के समय में ऐसा बिल्कुल नहीं है.वृद्ध आश्रम में ऐसे कई बुजुर्गों की मार्मिक कहानी है. जो आपको रुला देगी. यहां कई सारे बुजुर्गों का जब अपनों ने साथ नहीं दिया तो थक हारकर आखिरकार वृद्ध आश्रम का सहारा लेना पड़ा और आज इसी वृद्धाश्रम में वह बुजुर्ग अपनी पुरानी जिंदगी को भूल कर खुशहाल तरीके से नई जिंदगी जी रहे हैं और उन्हें सुख सुविधाओं का लाभ मिल रहा है.गौरीगंज तहसील के मुसाफिरखाना रोड पर राजगढ़ के पास जेपीएस फाउंडेशन द्वारा स्थापित वृद्धाश्रम संचालित है. यहां पर सैकड़ों बुजुर्ग स्थाई निवास करते हैं. वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को खाने-पीने के साथ समय-समय पर उनका इलाज उनके मनोरंजन के लिए जानकारी से जुड़ी किताबें सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ धार्मिक पर्यटन स्थलों पर उन्हें घुमाया जाता है. इसके साथ ही सरकार द्वारा निर्धारित पेंशन भी बुजुर्गों को दी जाती है. चाहे महिलाएं हो या पुरुष वृद्धा आश्रम में किसी के लिए कोई बंदिशे नहीं है. यहां बुजुर्ग अपने मन मुताबिक जिंदगी जी रहे हैं. वृद्धाश्रम के कर्मचारियों द्वारा भी परिवार के सदस्य की तरह बुजुर्गों का माता-पिता की तरह ध्यान दिया जाता है. समय-समय पर उच्च स्तरीय अधिकारियों द्वारा इसका निरीक्षण भी किया जाता है और जो कमियां और जो समस्याएं बुजुर्गों द्वारा बताई जाती हैं. उसका त्वरित निस्तारण भी किया जाता है.जब किसी ने साथ दिया, तो वृद्धाश्रम सहारा बनावृद्धाश्रम में शिवकला देवी बताती हैं कि जब उनका किसी ने साथ नहीं दिया तो उन्हें मजबूरी में वृद्धाश्रम में रहना पड़ रहा है. उनके पति को गंभीर बीमारी थी. इलाज के लिए जब परिवार के सदस्यों से उन्होंने बात की तो उन्होंने जमीन और मकान लिखने की बात की शर्त रख उनके पति की इलाज कराने की बात कही. जिसके बाद शिवकला देवी ने अपनों का साथ छोड़ना ज्यादा मुनासिब समझा और उन्होंने अपना घर जगह जमीन बेचकर अपने पति का इलाज कराया. लेकिन उसके बाद में उनके पति की जान नहीं बच पाई. पति की जान जाने के बाद उनके परिवार के सदस्यों ने उन्हें बेघर कर दिया. जिसके बाद वे करीब 4 सालों से वृद्ध आश्रम में रहकर अपनी खुशहाल जिंदगी जी रही है. वहीं एक और बुजुर्ग भी अपनों के सताए हुए हैं. उन्होंने कहा कि हमारे घर में बच्चे बहू जिनको हमने पढ़ा लिखाया, आज वे ही हमारे साथ नहीं हैं. इसलिए हमें वृद्धाश्रम में रहना पड़ रहा है. हम यहां बहुत खुश हैं और हमें यहां पर सभी सुविधाएं मिलती हैं.घर जैसा देते हैं प्यार, नहीं होती कोई कमीवृद्धाश्रम में प्रबंधक वाहिदा खान बताती हैं कि यहां बुजुर्गों को सभी सुविधाएं मिलती हैं. रहने खाने के साथ सभी सुविधाएं यहां बुजुर्गों को उपलब्ध कराई जाती हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यहां पर रहने वाले बुजुर्ग चाहे पुरुष हो या महिलाएं उनके दुख का कारण यही है कि या तो वे उपेक्षित हैं. या तो फिर निराश्रित हैं. उनकी बात को कहीं ना कहीं अनसुना किया गया. उन्हें पीड़ा हुई तभी वे वृद्ध आश्रम में रहने के लिए मजबूर हैं. यहां बुजुर्गों की बात को सुना जाता है. बुजुर्गों की बात सुनने के लिए हमारा पूरा स्टाफ यहां पर काम करता है. मुझे लगता है कि अगर बुजुर्गों की बात को सुना जाता तो यहां रहने की जरूरत उन्हें ना होती.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : April 07, 2023, 15:31 IST

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