यूपी में यहां है राजा जयचंद के सेनापति का मंदिर, सिर कटने के बाद भी लड़ता रहा युद्ध

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Agency:News18 Uttar PradeshLast Updated:January 23, 2025, 15:31 ISTFirozabad News: फिरोजाबाद में राजा जयचंद के सेनापति जखई का मंदिर स्थिति है. जखई ने राजा जयचंद की बेटी को बचाने के लिए पृथ्वीराज चौहान से कई दिनों तक युद्ध लड़ा था. उनकी वीरता को लोग आज भी याद करते हैं.जखई मेले में उमड़ी भीड़धीर राजपूत/ फिरोजाबाद : यूपी के फिरोजाबाद में एक ऐसा मंदिर स्थापित है, जिसकी मान्यता काफी दूर दूर तक है. इस मंदिर में राजा जयचंद के एक सेनापति की प्रतिमा स्थापित है, जिसकी वीरगाथा को लोग आज भी याद करते हैं और यहां अपने बच्चों की सलामती की मन्नत मांगने के लिए आते हैं. माघ महीने से यहां बड़े मेले का आयोजन किया जाता है, जो एक महीने तक चलता है. वहीं इस मंदिर को जखई महाराज के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में हजारों की संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं.

राजा जयचंद की बेटी को बचाते हुए पृथ्वीराज चौहान से हुए था युद्ध

फिरोजाबाद के इतिहासकार प्रो. ए.बी. चौबे ने लोकल 18 से बातचीत की और कहा कि गांव पैंढ़त में प्राचीन समय से जखई मेला लग रहा है. यहां महाराज जखई का एक मंदिर बना हुआ है और इस मेले को जखई मेले के नाम से जाना जाता है. वहीं उन्होंने  कहा कि महाराज जखई का इतिहास कन्नौज के राजा जयचंद से जड़ा हुआ है. 12 वीं शताब्दी में एक बार राजा जयचंद ने अपनी पुत्री संयोगिता का स्वयंवर रखा था, जिसे संयोगिता स्वयंवर के नाम से जाना गया. राजा जयचंद औऱ दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान के बीच बैर बना हुआ था, जो सभी को पता था. इस संयोगिता स्वयंवर के दौरान पृथ्वीराज चौहान राजा जयचंद की बेटी संयोगिता को अपने साथ लेकर जाने लगे. जिसको देखते हुए राजा जयचंद के सेनापित जखई ने पृथ्वीराज चौहान और उनकी सेना का पीछा किया. दोनों सेनाओं के बीच भयंकर युद्ध हुआ. सेनापति जखई ने पृथ्वीराज चौहान के चालीस वीर सरदारों के सर धड़ से अलग कर दिए, जिसे देख पृथ्वीराज चौहान भी दंग रह गए थे. जिसके बाद पृथ्वीराज चौहान ने जखई से युद्ध कर पैंढत में उनका सिर काटकर धड़ से अलग कर दिया था.

सिर कटने के बाद भी कई दिनों तक लड़ा था युद्ध

इतिहासकार की मानें तो जब पृथ्वीराज चौहान औऱ सेनापति जखई के बीच युद्ध हो रहा था, उस समय जखई ने पृथ्वीराज की सेना में मारकाट मचा दी थी. उसको देखने के बाद पृथ्वीराज चौहान ने शब्द-भेदी बाण चलाकर उनका सर धड़ से अलग कर दिया था. लेकिन सर कटने के बाद भी सेनापित जखई ने कई दिनों तक युद्ध किया था और अंत में वीरगति को प्राप्त हुए थे. उनकी वीरता को देखने के बाद उनके चाहने वालों ने गांव पैंढत में उनका मंदिर बना दिया. माह महीने की पूर्णिमा से लेकर फाल्गुन महीने की पूर्णिमां तक यह मेला लगता है. यहां फिरोजाबाद, आगरा, इटावा, कन्नौज समेत काफी दूर दूर से लोग यहां जखई मेला देखने आते हैं. इसके अलावा यहां बच्चों के मुंडन भी करवाए जाते हैं.लोग महाराज जखई से पूजा-अर्चना कर मन्नत मांगते हैं.
Location :Firozabad,Firozabad,Uttar PradeshFirst Published :January 23, 2025, 15:23 ISThomeuttar-pradeshयूपी में यहां है राजा जयचंद के सेनापति का मंदिर, पृथ्वीराज चौहान से है कनेक्शन

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