सनन्दन उपाध्याय/बलिया: जहां एक तरफ 22 जनवरी को अयोध्या में रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा की धूम देश और दुनिया में सर चढ़कर बोल रहा है तो वहीं ठीक 22 जनवरी को ही बलिया में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा. आपको बताते चलें कि अयोध्या में जो 500 साल बाद रामलाल अपने भव्य दिव्य मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं तो बलिया में भी लगभग 300 साल बाद रामलाल अपने भव्य दिव्य मंदिर में विराजमान होंगे. सबसे खास और भाग्य की बात तो ये है कि अयोध्या रामलला के गर्भ गृह में काम की हुई कंपनी और कारीगर ही यहां काम कर रहे हैं. बलिया के इस प्राचीन रामलला को जनपद वासी चमत्कारिक मानते हैं. आस्था का प्रतीक ही नहीं बल्कि यह प्रतिमा ऐतिहासिक और प्रथम बलिया की निशानी है.
मंदिर व्यवस्थापक रजनीकांत सिंह ने कहा कि एक साल पहले प्राण प्रतिष्ठा की प्लानिंग की गई थी लेकिन राजस्थान से कारीगर न आने के कारण काम रुक गया था. शायद प्रभु की इच्छा थी की अयोध्या के रामलला के साथ ही हम बलिया में विराजमान होंगे. बड़े भाग्य की बात है की अयोध्या के गर्भ गृह में काम किए हुए कारीगर भी यहां काम कर रहे हैं और 22 जनवरी को ही यहां भी प्राण प्रतिष्ठा होने जा रहा है.
अयोध्या के रामलला से कनेक्शनभृगु आश्रम सतनी सराय श्री राम मंदिर व्यवस्थापक रजनीकांत सिंह ने कहा कि यहां पर लगभग 300 से 400 साल पुराना एक राम मंदिर था. जो काफी जीर्णशीर्ण हो गया था उसको नए सिरे से बनाया गया है. 22 जनवरी को वही पुराना विग्रह स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा किया जाएगा. इस मंदिर में बचपन से पूजा पाठ हम लोग करते आ रहे हैं ऐसा ऐसा चमत्कार यहां के लोगों ने देखा है. जिसको बताने में कई दिन बीत जाएंगे. पिछले वर्ष ही प्राण प्रतिष्ठा करने की प्लानिंग हुई थी लेकिन मंदिर बनने के बाद गर्भ ग्रह का निर्माण करने के लिए राजस्थान से कारीगर नहीं आ पाए जिसके कारण कार्यक्रम स्थगित हो गया. शायद प्रभु की यही इच्छा थी कि अयोध्या के रामलला के साथ ही बलिया में विराजमान होंगे. सबसे खास और भाग्य की बात है कि अयोध्या रामलला के गर्भ गृह को बनाने वाले कारीगर ही इसको बना रहे हैं.
राम प्रतिमा को लेकर ये बोले इतिहासकारइतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने कहा कि दो बार गंगा में विलीन हुई यह तीसरी बलिया है. जिसमें यह श्री राम का विग्रह पहली बलिया की निशानी है. 1894 में पहली बलिया गंगा में विलीन हो गई, 1905 ईस्वी में बलिया शहर दूसरी बार गंगा में विलीन हुआ और उसके बाद 1926 ईस्वी में भृगु आश्रम के ठीक सामने यह विग्रह प्राप्त हुआ था. पहले यह मंदिर मिट्टी से जोड़कर बनाया गया था और अब यह रामलला 22 जनवरी को अयोध्या के रामलाल के साथ ही अपने भव्य दिव्य मंदिर में विराजमान होंगे. महत्वपूर्ण है की अयोध्या में काम की हुई कंपनी ही यहां भी काम कर रही है.
अयोध्या रामलला के गर्भ गृह में काम किए कारीगर ही कर रहे निर्माणराजस्थान मकराना निवासी साजिद ने कहा कि अयोध्या में जो राम मंदिर बना है उसमें भी मकराना के मार्बल का ही काम हुआ है. अयोध्या रामलला के गर्भ गृह में भी मैंने ही काम किया है और यहां बलिया में जो मंदिर 300 साल पुराना बताया जा रहा है उसमें भी हम लोग ही काम कर रहे हैं. दरअसल इसको केवल खड़ा ही करना है जो लगभग चार दिनों में पूरा हो जाएगा.
.Tags: Ram Mandir, Ram Mandir ayodhyaFIRST PUBLISHED : January 13, 2024, 13:09 IST
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