Agency:News18 Uttar PradeshLast Updated:February 20, 2025, 23:45 ISTHow to make jeevamrit : कम लागत में ज्यादा उत्पादन के लिए अक्सर किसान केमिकल युक्त रसायनों का इस्तेमाल करते हैं. इससे होने वाला अनाज सेहत के लिए खतरनाक है. कई किसान नेचुरल तरीके से तैयार खाद खेतों में डालने लगे…और पढ़ेंX
किसान शेषपाल सिंह हाइलाइट्सशेषपाल सिंह बिना केमिकल खेती कर रहे हैं.वे गोमूत्र और गोबर का उपयोग करते हैं.जीवामृत से शुद्ध अनाज और उपजाऊ मृदा मिलती है.रायबरेली. एक तरफ जहां प्रकृति के प्रति लापरवाह लोग हैं वहीं दूसरी तरफ एक से बढ़कर एक प्रकृति प्रेमी लोग भी हैं. ऐसे लोग प्रकृति संरक्षण के साथ ही प्रकृति से होने वाले फायदों के बारे में अन्य लोगों को भी जागरूक करते हैं. सरकार भी प्रकृति संरक्षण को बढ़ावा दे रही है. उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद के एक किसान इस दिशा में काम कर रहे हैं. वह इस दौर में भी प्राकृतिक चीजों को संरक्षित करने के साथ ही प्राकृतिक तरीके से खेती भी कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं रायबरेली जिले के शिवगढ़ क्षेत्र के कसना गांव के प्रगतिशील किसान शेषपाल सिंह के बारे में. शेषपाल किसानों के लिए प्रेरणा हैं. इनसे हमें प्राकृतिक खेती के महत्व को समझना और अपनाना चाहिए.
किसान शेषपाल सिंह के मुताबिक, उन्होंने पिछले कई वर्षों से अपनी खेती में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग नहीं किया है. वे प्राकृतिक तरीकों से खेती कर रहे हैं. उनके खेतों में गोमूत्र और गोबर का प्रयोग होता है. वो लोगों को प्राकृतिक खेती के महत्व के बारे में जागरूक करते हैं. उनके अनुसार, रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग करने से कई जटिल बीमारियां और समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और यह भी खान-पान के सही नहीं होने की वजह से हो सकता है.
लोकल 18 से बात करते हुए किसान शेषपाल सिंह बताते हैं कि 2016 से पहले वह भी अन्य किसानों की तरह खेतों में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग करते थे. 2017 में सुभाष पालेकर से प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लेने के बाद से वह सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि करने लगे हैं. इससे उन्हें खेती में अद्भुत परिणाम मिलने के साथ ही उनकी पैदावार में भी बढ़ोतरी हुई है.
खेतों में जीवामृत का करते हैं प्रयोगकिसान शेषपाल सिंह बताते हैं कि वह अपने खेतों में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की जगह जीवामृत का उपयोग करते हैं. इसे वह अपने घर पर स्वयं तैयार करते हैं. इसके लिए उन्होंने दो दर्जन से अधिक गायों को पाल रखा है.
ऐसे तैयार होता है जीवामृतवह बताते हैं कि वह जीवामृत को तैयार करने के लिए गाय के गोबर और गौ मूत्र की जरूरत पड़ती है. वह गाय के गोबर और गोमूत्र को बड़े-बड़े कंटेनर में इकट्ठा कर लेते हैं और उसके बाद उसे लकड़ी की सहायता से क्लाकवाइज सप्ताह में 2 दिन घूमाते हैं. फिर एक माह बाद यह जीवामृत तैयार हो जाता है. तैयार जीवामृत को खेतों में फसलों पर छिड़काव कर देते हैं.
जीवामृत खेती के फायदेकिसान शीशपाल सिंह के मुताबिक खेतों में जीवामृत का इस्तेमाल करने से आपको पूर्ण रूप से शुद्ध अनाज मिलेगा जो आपके लिए लाभकारी होगा. इसके अलावा आपके खेत की मृदा भी उपजाऊ बनी रहेगी क्योंकि अधिक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग करने से जमीन बंजर हो जाती है.
Location :Rae Bareli,Uttar PradeshFirst Published :February 20, 2025, 23:45 ISThomeagricultureअनोखा किसान 10 साल से ऐसे कर रहा बिना ‘केमिकल’ वाली खेती, हो रही तगड़ी कमाई