Yoga Stages: इस महीने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा. योग को अपना मानने में हम भारतीय सबसे आगे रहते हैं और होना भी चाहिए. मगर समस्या यह है कि योग हमारा होने के बावजूद हम योग को बहुत कम जानते हैं. जैसे ही योग के बारे में बात आती है, तो हम तुरंत योगासनों की बात करने लगते हैं. लेकिन आसन योग का सिर्फ एक हिस्सा है, योग के कुल 8 चरण होते हैं. जिनके बारे में जानना बहुत जरूरी है. आइए इस आर्टिकल में योग के 8 चरणों के बारे में जानते हैं.
Yoga Stages: योग के 8 चरण कौन-से हैं?संत पतंजलि को योग गुरु में सर्वोत्तम स्थान दिया जाता है. उन्होंने ही योग के 8 चरणों के बारे में जानकारी दी है, जो अंतरात्मा को खोजने में मदद करते हैं.
यम
नियम
आसन
प्राणायाम
प्रत्याहार
धारणा
ध्यान
समाधि
योग का पहला चरण या अंग यम होता है. जिसे नैतिकता का पाठ माना जाता है. यह योगी के आचरण व व्यवहार को निर्देशित करता है. यम के भी 5 प्रकार होते हैं, जैसे अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह.
योग का दूसरा चरण नियम होता है. जो कि व्यक्तिगत होता है. यह हर किसी योगी के लिए भिन्न हो सकता है. इसके भी पांच प्रकार होते हैं,जैसे शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान.
योग का तीसरा चरण आसन होता है, जिसे योगासन भी कहा जाता है. योगासन आपके शरीर को टोन करने और अशुद्धियों को बाहर निकालकर शुद्ध करने में मदद करता है.
योग का चौथा चरण प्राणायाम है, जिसे शारीरिक ऊर्जा पर नियंत्रण माना जाता है. प्राण हमें शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर बांधता है, उसके वेग को अबाधित और नियंत्रित करने के लिए प्राणायाम मदद करता है.
प्रत्याहार को योग का पांचवा चरण कहा जाता है. जिसका मतलब है कि हमें अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करके मगन रहना है. योग कहता है कि इंद्रियां बेकाबू होने से हमारी ऊर्जा बेकार जाती है.
योग के छठे चरण को धारणा यानी चित्त या मन को स्थिर करना है. इसके कई तरीके हो सकते हैं, जैसे सांसों के द्वारा मन एकाग्र करना या फिर किसी ज्योति या बिंदु के द्वारा विचारों की बाढ़ को नियंत्रित करना.
योग का सातवां चरण ध्यान है, जब योगी धारणा को लगातार बनाए रखने में सक्षम होता है, तो वह ध्यान की स्थिति में पहुंच जाता है. आप जिसे ध्यान समझकर करने लगते हैं, वह सिर्फ धारणा है. ध्यान की स्थिति में हम शून्यता की तरफ जाते हैं.
योग का आखिरी और आठवां चरण समाधि है, जिसे अंतरात्मा का मिलन भी कहते हैं. संत पतंजलि के मुताबिक समाधि शब्द समता से आया है. जो कि जीवात्मा और परमात्मा के मिलन से पैदा हुई स्थिति है.
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