यमुना के इस घाट में एक साथ डुबकी लगाएं भाई-बहन तो मिलेगा ये वरदान, जानिए पौराणिक महत्व

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यमुना के इस घाट में एक साथ डुबकी लगाएं भाई-बहन तो मिलेगा ये वरदान, जानिए पौराणिक महत्व



हाइलाइट्सधार्मिक मान्यता है कि विश्राम घाट में भगवान ने हर युग में विश्राम कियायहां जो भी भाई-बहन यमदुतिया पर्व पर साथ स्नान करते हैं, उन्हें यम फांस से मुक्ति मिलती हैरिपोर्ट- चंदन सैनी
मथुरा: मथुरा-वृंदावन भगवान श्री कृष्ण की पावन नगरी है. मथुरा- वृंदावन को भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली कहा जाता है. यहां भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा अनेकों लीलाएं की गई. भगवान की चारों युगों की लीलाओं को मथुरा का विश्राम घाट अपने अंदर संजोए हुए है. मथुरा के विश्राम घाट पर यमुना जी और उनके भाई यमराज का मंदिर बना हुआ है. देश विदेश से यहां श्रद्धालु भाई-बहन के इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं. मथुरा के विश्राम घाट पर शाम 7 बजे भव्य आरती की जाती है.
NEWS 18 LOCAL से खास बातचीत करते हुए विश्राम घाट के पुजारी देवेंद्र नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि, मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु का युगों के अनुसार यहां, विश्राम हुआ है. सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग इन युगों में विश्राम हुआ है. जिसका वर्णन भी हमें शास्त्रों में पढ़ने को मिलता है.
भगवान का पहला विश्रामसर्वप्रथम गंगोत्री में यमुनोत्री ने कलिंदरी पर्वत पर तपस्या की. तपस्या करने के बाद स्वयं भगवान नारायण ने उनको साक्षात दर्शन दिए. तब यमुनोत्री ने भगवान को पति के स्वरूप में पाने की इच्छा जाहिर की. जिसके बाद भगवान नारायण ने कहा कि, आप मधुपुरी जाओ जब मैं वहां आऊंगा, तो मैं वहां आपसे भेंट करूंगा. शास्त्रों के अनुसार यमुनोत्री से गंगोत्री चलने के बाद मथुरा वृंदावन, आकर भगवान ने विश्राम किया.
दूसरा विश्राम वराह अवतार में हुआभगवान ने दूसरा, विश्राम वराह अवतार में लिया. वराह अवतार में पृथ्वी को लेकर जब भगवान चले तो पृथ्वी जी के मन में एक जिज्ञासा हुई. पृथ्वी जी ने भगवान से कहा कि मैं साथ हूं, लेकिन ऐसा कौन सा स्थान है. जहां आप मुझे रखोगे. तब भगवान ने कहा कि, मथुरा पुरी गोलोक धाम में. जो हिरण्याक्ष की सीमा में नहीं है. भगवान ने यहां आकर उनको विश्राम दिलाया.
तृतीय विश्राम राजा लवणासुर की मृत्यु के बादभगवान ने यहां तृतीय विश्राम, मथुरा के राजा लवणासुर की मृत्यु के बाद किया. लवणासुर का वध भगवान राम के भाई शत्रुघ्न ने किया था. जिसके बाद, भगवान यहां आकर शत्रुघ्न का राज्याभिषेक किए थे. उस दौरान यहीं पर विश्राम भी किया.
चौथा विश्राम भगवान श्री कृष्ण कामथुरा-वृंदावन में चौथा विश्राम, भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध करने के बाद किया. पौराणिक मान्यता है कि कंस का वध करने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा-वृंदावन में विश्राम किया था. जिसके बाद से ही इस घाट का नाम विश्राम घाट पड़ा है.
मान्यता है कि विश्राम घाट पर कार्तिक महीने में यम दुतिया पर्व पर यमुना स्नान होता है. यहां यमुना जी ने अपने भाई यमराज को बुलाकर दोनों भाई- बहन ने हाथ पकड़कर स्नान किया था. इसके साथ ही यमुना जी ने अपने भाई से वरदान लिया कि , जो भी भाई-बहन यमदुतिया पर्व पर हाथ पकड़कर यमुना में स्नान करें उसे यम फांस से मुक्ति मिलती है.

उसी दिन से यहां यम दुतिया पर्व पर लाखों की संख्या में बहन-भाई के जोड़े यमुना स्नान करने आते हैं. स्नान कर अपने मोक्ष की कामना करते हैं. दोनों तरफ बारह-बारह घाट बने हुए हैं और बीच में विश्राम घाट मौजूद है.
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