यहां मौजूद है 311 साल पुरानी सौर घड़ी….समय रेखा के नियमों का आज भी करती है पालन

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यहां मौजूद है 311 साल पुरानी सौर घड़ी....समय रेखा के नियमों का आज भी करती है पालन



सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : आज के तकनीकी दौर में सुई और पेंडुलम वाली घड़ियों की जगह डिजिटल घड़ियों ने ले ली है. परंतु आज भी ऐतिहासिक सौर घड़ियां भारत में मौजूद हैं और इतिहास को संजोए हुए हैं. शाहजहांपुर में भी मुगल काल के दौरान समय की गणना के लिए एक सौर घड़ी का निर्माण किया गया था जो आज भी मौजूद है. चौक कोतवाली थाना क्षेत्र के जामा मस्जिद परिसर में भी एक सौर घड़ी मौजूद है. सैकड़ो साल पुरानी यह सौर घड़ी आज भी सटीक समय बताती है.

इतिहासकार डॉक्टर विकास खुराना ने बताया कि सन 1698 में शाहजहांपुर शहर के संस्थापक नवाब बहादुर खान के बेटे अजीज खान ने जामा मस्जिद का निर्माण कराया था. मस्जिद का निर्माण पूरा होने के बाद यहां अजान के लिए सन 1712 में सौर घड़ी बनवाई गई. आपको बता दें कि जामा मस्जिद शहर की सबसे पुरानी मस्जिदों में शुमार है.

मस्जिद परिसर में मौजूद है सौर घड़ीइतिहासकार डॉक्टर विकास खुराना ने बताया कि यह मस्जिद अपनी खूबसूरत वास्तुकलाऔर धार्मिक महत्व के लिए जानी जाती है. मस्जिद में दो ऊंची भव्य मीनार और 14 गुंबद बने हुए हैं जो इसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा रहे हैं. डॉ विकास खुराना ने बताया कि मस्जिद को अपनी खूबसूरती की वजह से ‘मस्जिद शोभ’ के नाम से भी जाना जाता था.

नैनी के समय से 10 मिनट पीछे चलती है घड़ीइतिहास का डॉक्टर विकास पुराना बताते हैं कि शाहजहांपुर में मौजूद सौर घड़ियां 10 मिनट पीछे का समय बताती हैं. डॉक्टर खुराना बताते हैं कि भारत की की समय रेखा नैनी के पास से गुजरती है. शाहजहांपुर और प्रयाग के बीच लगभग 2.5 देशान्तर का अंतर (गौरतलब है कि है 1 देशान्तर से दूसरी देशान्तर के बीच 4 मिनट का अंतर होता है ). उस हिसाब से 10 मिनट का अंतर स्वाभाविक है.

रखरखाव के अभाव में टूट गई चंद्र घड़ीडॉ. विकास खुराना बताते हैं कि यहां सौर घड़ी के साथ-साथ चंद्र घड़ी भी मौजूद थी. चंद्र घड़ी जो रमजान के दिनों में रोजेदारों के लिए समय देखने के काम आती थी. लेकिन रखरखाव के अभाव में चंद्र घड़ी टूट गई. डॉ विकास खुराना कहते हैं कि हालांकि आधुनिक दौर में सौर घड़ी और पेंडुलम वाली घड़ी की जगह अब डिजिटल गाड़ियों ने ले ली है लेकिन यह घड़ी आज भी अपने आप में बहुत यादों को समेटे हुए हैं. ऐसे में इसको धरोहर के रूप सहेजने की जरूरत है.
.Tags: Local18, OMG News, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : November 4, 2023, 17:22 IST



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