कानपुर: देशभर में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. देर रात से मंदिरों में भगवान के जन्म देते ही जय जयकार गूंजेगी. सुबह से ही कृष्ण मंदिरों पर भक्तों की जमकर भीड़ पहुंच रही है. दुनिया भर में भगवान श्री कृष्णा की जन्माष्टमी मनाई जाती है. देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग रीति-रिवाज और तौर तरीकों से लोग भगवान का जन्मोत्सव मनाते हैं. कानपुर में भगवान श्री कृष्ण की जयंती बड़े धूमधाम के साथ बड़े अनोखे अंदाज में मनाई जाती है. यहां पर भी कृष्ण मंदिरों में विशेष झांकियां और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.कानुपर में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े अलग तरीके से मनाया जाता है. यहां पर भगवान को जन्म से पहले एक खीरे के अंदर रख दिया जाता है और फिर जब शुभ मुहूर्त होता है उसे वक्त उस खीरे से निकली डंठल को काटकर भगवान को निकाला जाता है. यह एक प्रकार से जिस प्रकार से जब मां अपने बच्चों को जन्म देती है तो जो गर्भनाल को काटा जाता है उसी प्रकार से इस खीरे को मां और बेटे के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है.₹100 तक का बिकता है खीराजन्माष्टमी के दिन इस डंठल वाले खीरे की मांग बहुत अधिक रहती है. यह खीर 100 रुपए से 200 रुपये तक जन्माष्टमी के दिन बिकता है. हर घर में लोग इसी तरह के खीरे में भगवान श्री कृष्णा का जन्मोत्सव करते हैं. भगवान श्री कृष्ण की छोटी मूर्ति खीरे के अंदर जन्म के पहले काट कर रख दी जाती है और फिर जब शुभ मुहूर्त होता है तो उसे खीरे में लगी नाल को काटा जाता है और फिर भगवान को बाहर निकाल कर उनका अभिषेक किया जाता है और भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है.कानपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित कमलापति त्रिपाठी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव में खीरे के अंदर से भगवान का जन्म कराया जाता है. यह खीरा यशोदा माता के रूप में माना जाता है और उसी से जब भगवान का जन्म होता है तो उसे खीरे पर लगी नाल को काटा जाता है. जिस प्रकार से एक बच्चे के जन्म के बाद उसकी नाल काटी जाती है उसी तरीके से इसका भी महत्व है.FIRST PUBLISHED : August 26, 2024, 20:12 IST