यहां आज भी हराभरा खड़ा है वह पेड़..जिस पर बैठकर भगवान कृष्ण ने की लीलाएं..रखा गया समुद्र मंथन का अमृत कलश

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यहां आज भी हराभरा खड़ा है वह पेड़..जिस पर बैठकर भगवान कृष्ण ने की लीलाएं..रखा गया समुद्र मंथन का अमृत कलश

मथुरा: नंद बाबा के लाडले श्री कृष्ण मथुरा वृंदावन गोचरण के लिए जाते थे. यहीं वह अपनी लीलाओं के दर्शन अपने भक्तों को करते थे. वृंदावन के इस स्थान पर एक वृक्ष ऐसा है जो कि 5,500 साल पुराना है. यह वृक्ष दिखने में जितना सुंदर है उतना ही अंदर से यह खोखला है. मान्यता के अनुसार इस वृक्ष पर एक अमृत की बूंद गिरी और यह वृक्ष हमेशा के लिए अमर हो गया.5,500 हजार वर्ष से अधिक पुराना है यह पेड़धर्म नगरी वृंदावन को श्री कृष्ण की क्रीडा स्थल कहा जाता है. बाल्यावस्था में भगवान श्री कृष्ण ने यहां अनेकों लीलाओं को किया. यमुना के किनारे श्री कृष्ण की एक लीला बेहद ही रोमांचित रही है. यमुना में अपने परिवार के साथ रह रहे कालिया नाग के साथ भी उन्होंने एक लीला की. कालिया नाग का दमन कर उसे यमुना से बाहर भेज दिया तो दूसरी ओर एक वृक्ष आज भी हरा भरा खड़ा हुआ है. जिसे केलीकदंब के नाम से जाना जाता है.इस वृक्ष की अपनी बेहद ही रोमांचित एक कहानी है. यह वृक्ष भगवान कृष्ण के जन्म से पहले का है. कालीदह मंदिर के सेवायत पुजारी कन्हैया पुरोहित ने इस वृक्ष की मान्यता को बताया. उन्होंने बताया कि यह केलीकदंब का पेड़ है. बाल अवस्था में श्री कृष्ण ने अनेकों लीलाएं इस वृक्ष पर बैठकर की थीं. यह वृक्ष आप जो देख रहे हैं भगवान श्री कृष्ण के जन्म से कई साल पूर्व का है. कन्हैया पुरोहित ने इस वृक्ष की मान्यता बताते हुए कहा कि यह केलीकदंब का वृक्ष है. इस पर समुद्र मंथन के दौरान गरुड़ महाराज अमृत कलश लेकर आए और पेड़ पर बैठ गए.केलीकदंब वृक्ष पर कान्हा के पैरों के निशानउन्होंने बताया कि पेड़ पर अमृत की एक बूंद कलश में से गिर गई और यह वृक्ष जो है अंदर से खोखला हो गया और आज भी यह अमर वृक्ष खड़ा हुआ है. वृक्ष की खास बात यह है कि पूरा वृक्ष हरा भरा है. कन्हैया पुरोहित ने यह भी बताया कि इस वृक्ष पर आज भी भगवान श्री कृष्ण के पैरों के निशान देखने को मिलते हैं. पेड़ पर जैसे बच्चे चढ़ते हैं उस तरह से यहां पैरों के निशान भगवान श्री कृष्ण के बने हुए हैं. यहां हर दिन हजारों श्रद्धालु इन पेड़ की मान्यता को सुनने और देखने के लिए आते हैं यहां दर्शन कर अपने आप को कृतार्थ करते हैं.FIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 21:39 IST

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