हाइलाइट्समथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में हिंदू पक्ष की बड़ी जीत इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाद से जुड़ी हिन्दू पक्ष की याचिकाओं को सुनने योग्य माना है प्रयागराज. मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़ी सभी 18 याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने हिंदू पक्ष को बड़ी राहत देते हुए कहा कि याचिकाएं सुनने के योग्य हैं. जिसके बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि अब हम इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर पहले हमारा पक्ष सुनने की मांग करेंगे.
दरअसल, विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल हिंदू पक्ष की याचिकाओं को पोषणीय माना है, कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आर्डर 7 रूल्स 11 की आपत्ति को खारिज कर दिया. उन्होंने बताया कि इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने 31 मई को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था. हाईकोर्ट के फैसले से ही यह तय हो गया है कि मथुरा के मंदिर मस्जिद विवाद में हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई योग्य हैं. 12 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई होगी. वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि अब इस मामले में अयोध्या की तर्ज पर सुनवाई होगी.
मुस्लिम पक्ष की दलील ख़ारिजविष्णु शंकर जैन ने बताया कि कोर्ट ने कहा है कि याचिकाएं प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट से बाधित नहीं हैं. हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल की गई 18 याचिकाओं में मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को श्री कृष्ण जन्म स्थान बताकर उसे हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग की गई थी. विवादित परिसर में हिंदुओं को पूजा अर्चना की अनुमति दिए जाने की मांग की गई थी. विवादित परिसर का अयोध्या के राम मंदिर और वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर सर्वेक्षण कराए जाने की मांग की गई है. अयोध्या विवाद की तर्ज पर इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई सीधे तौर पर कर रहा है.
हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेगा कैविएटकेस जुड़े वकील विष्णु शंकर जैन का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल के सर्वे का आदेश दिया था. उसे आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और स्टे वैकेट करने की मांग करेंगे. इसके अलावा अगर इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाता है, तो उससे पहले कैविएट दाखिल करेंगे. शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत आपत्ति दाखिल की थी. मुस्लिम पक्ष ने इन याचिकाओं की पोषणीयता को चुनौती दी थी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कई दलीलें पेश की गई थी. मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की मांग की थी. मुस्लिम पक्ष ने मुख्य रूप से प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की दलील पेश की थी. लेकिन अदालत में मुस्लिम पक्ष की दलीलें खारिज करते हुए हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल याचिकाओं को पोषणीय माना है.
Tags: Allahabad high court, Mathura Krishna Janmabhoomi ControversyFIRST PUBLISHED : August 1, 2024, 15:14 IST