पीलीभीत. आमतौर पर जंगल से सटे इलाकों में रोजगार के अवसर कम ही होते हैं. यही कारण है कि जंगल से सटे इलाकों के लोगों की निर्भरता जंगल पर कुछ ज्यादा ही हो जाती है, जो कि कई बार हादसों का कारण बन जाती है. इसी निर्भरता को कम करने के लिए विश्व प्रकृति निधि (WWF) की ओर से पीलीभीत टाइगर रिजर्व से सटे इलाकों में रहने वाली महिलाओं को स्वरोज़गार के अवसर दिलाने की कवायद की जा रही है. इस कवायद के तहत पीलीभीत की महिलाओं ने थारू जनजाति की महिलाओं से परंपरगत हस्तशिल्प के गुर सीखे साथ ही इस परंपरगत हस्तशिल्प को बाजार से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं.उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के जंगलों को टाइगर रिजर्व घोषित हुए 10 से भी अधिक वर्ष हो चुके हैं. लेकिन आज भी तरह रिज़र्व के 5 किलोमीटर दायरे में आने वाले 283 गांव रोजगार के लिहाज से काफी अधिक पिछड़े हुए हैं. वहीं टाइगर रिज़र्व के सीमा पर स्थित गांवों का और अधिक बुरा हाल है. वन क्षेत्र के आस पास रहने वाले लोग रोज़गार के अवसरों की कमी के चलते अक्सर रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए वन क्षेत्र पर निर्भर हो जाते हैं. आम तौर पर देखा जाता है कि जंगल से सटे इलाकों के लोग वन उपज या फिर जलावन की लकड़ी के लिए वन क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं. रिज़र्व फ़ॉरेस्ट में यह गतिविधियां पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है वहीं इसके साथ ही ऐसा करने से ग्रामीणों एवं वन्यजीव दोनों की ही जान पर खतरा बना रहता है.कम होगी जंगलों पर महिलाओं की निर्भरतागांव में रहने वाले पुरुष मज़दूरी या फिर शहर का रुख़ कर लेते हैं लेकिन महिलाएं वन क्षेत्र पर ही निर्भर रह जाती है. इस निर्भरता को कम करने के लिए विश्व प्रकृति निधि ने एक खास पहल शुरू की है. जिसके तहत पीलीभीत टाइगर रिजर्व से सटे इलाकों में रहने वाली महिलाओं को दुधवा नेशनल पार्क के आसपास स्थित थारू जनजाति गांवों में भेजा गया. जहां पीलीभीत की महिलाओं ने थारू जनजाति की महिलाओं से परंपरगत हस्तशिल्प के गुर सीखे साथ ही इस परंपरगत हस्तशिल्प को बाजार से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं.WWF के प्रयास से ग्रामीणों को मिला रोजगारविश्व प्रकृति निधि की ओर से इससे पूर्व में भी कई अन्य तरीकों से भी जंगल से सटे इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों के लिए रोज़गार मुहैया कराया है. संस्था की ओर से जंगल से सटे इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों को मधुमक्खी पालन, होम स्टे जैसे कई व्यवसाय शुरू कराए गए हैं. कई ग्रामीण तो मधुमक्खी पालन से मोटा मुनाफ़ा भी कमा रहे हैं. वहीं ऐसा माना जाता है कि मधुमक्खियों की मौजूदगी के चलते कई वन्यजीव भी इन इलाकों से दूरी बनाकर रखते हैं. अधिक जानकारी देते हुए WWF के परियोजना अधिकारी नरेश कुमार ने बताया कि महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए 20 महिलाओं के दल को दुधवा भेजा गया था. वहीं महिलाएं अपने गांवों में भी प्रशिक्षण से जुड़ी बारीकियों को साझा करेंगी.FIRST PUBLISHED : November 12, 2024, 17:15 IST