विशाल झा/गाज़ियाबाद. दुनिया भर में लगभग 34 करोड़ लोग अस्थमा की चपेट में हैं. यह बीमारी मुख्य रूप से बच्चों में ज्यादा पाई जाती है. आंकड़ों के अनुसार, पूरी दुनिया के 14 प्रतिशत बच्चे इससे प्रभावित हैं. जिनके बच्चों को अस्थमा है, उनके अभिभावकों के मन में कई सवाल उठते हैं. News 18 Local वर्ल्ड अस्थमा दिवस पर ऐसे ही सवालों के जवाब लेकर आया है.
चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. अंकित पारक ने बताया कि अस्थमा में हमारी सास की नली में इन्फेक्शन जमा हो जाने के कारण ब्लॉकेज हो जाता है. इसमें बच्चों को खांसी भी होती है, बलगम भी आता है. बच्चों को कई बार नींद नहीं आती और स्कूल भी मिस होता है. इसमें खांसी कई दिनों तक चलती है. बच्चे को सांस लेने में भी समस्या महसूस होती है.
इन कारणों से होता है अस्थमाअस्थमा बच्चों में एलर्जी और कई प्रकार के वायरस के कारण भी होता है. फैमिली हिस्ट्री भी बच्चों पर असर डालती है. अगर बच्चों के अभिभावकों, नाना-नानी या दादा-दादी को यह बीमारी होती है तो उसका भी असर पड़ता है. इसमें एक बड़ा कारण है वायु प्रदुषण, जो बच्चों को अस्थमा का शिकार बना रहा है.
छोटी उम्र में इनहेलरडॉक्टर के अनुसार, बच्चों को इनहेलर इसलिए दिया जाता है, क्योंकि इसमें दवा की मात्रा काफी कम होती है. जिसके कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं हैं. लंग्स तक आसानी से दवा पहुंच जाती है. इनहेलर में भी दो प्रकार हैं. इनमें एक प्रीवेंटिव होता है, जो सूजन के लिए अच्छा होता है और ये रोज लेना होता है, जब तक डॉक्टर मना न करे.
छूट जाती है आदतबच्चों में विभिन्न प्रकार के केस देखने के लिए मिलते हैं. कई बार बच्चों को इनहेलर लेने की जरूरत नहीं पड़ती. कई बार ये बच्चों को सीजन में जरूरत पड़ती है. कई बच्चे ऐसे होते हैं, जिनको साल भर इनहेलर दिया जाता है. इनके अभिभावकों में डर होता है की बच्चों को इसकी लत लग जाएगी. डॉक्टर के अनुसार, ऐसा कुछ नहीं होता. बच्चे के स्वास्थ्य रहने के लिए यह काफी जरूरी है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Ghaziabad News, Health News, UP newsFIRST PUBLISHED : May 02, 2023, 18:11 IST
Source link