महिलाओं के जीवन में मेनोपॉज (Menopause) एक जरूरी और चुनौतीपूर्ण दौर होता है, जिसमें शारीरिक और मानसिक बदलाव देखे जाते हैं. भारत में महिलाएं औसतन 46 वर्ष की उम्र में मेनोपॉज में प्रवेश करती हैं, जो पश्चिमी देशों की तुलना में जल्दी होता है. इस दौरान महिलाओं को हॉट फ्लैशेज, पसीना, अनिद्रा, मूड स्विंग, जोड़ों का दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
एक हालिया सर्वे के अनुसार, 81% वर्किंग महिलाएं मेनोपॉज के कारण ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई महसूस करती हैं, जबकि 73% को बार-बार छुट्टी लेनी पड़ती है. ऐसे में काम और सेहत के बीच बैलेंस बनाए रखना एक चुनौती बन जाता है. हालांकि, कुछ हेल्दी आदतें अपनाकर महिलाएं इस दौर को आसान बना सकती हैं.
अबॉट इंडिया की मेडिकल अफेयर्स हेड डॉ. रोहिता शेट्टी ने बताया कि मेनोपॉज के बारे में महिलाओं को जागरूक करना केवल फैक्ट्स को शेयर करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा माहौल बनाने के बारे में भी है, जहां महिलाएं अपने एक्सपीरिएंस को संकोच किए बिना दूसरों से शेयर कर सकें. ‘वुमन फर्स्ट’ जैसी पहल महिलाओं को सही जानकारी देती हैं और उन्हें परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों से खुलकर बात करने के लिए प्रेरित करती हैं. इस तरह की मदद महिलाओं को आत्मविश्वास के साथ इस नए जीवन अध्याय को अपनाने में सक्षम बनाती है. आइए कुछ हेल्दी आदतों पर नजर डालें.
1. खुलकर बात करें, मदद मांगने में हिचकिचाएं नहींमेनोपॉज के लक्षणों को छुपाने के बजाय खुलकर बात करें. अपने परिवार, दोस्तों और सहयोगी से अपने अनुभव शेयर करें. इससे न सिर्फ इमोशनल सहयोग मिलेगा, बल्कि वे आपकी स्थिति को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे.
2. काम का माहौल अनुकूल बनाएंऑफिस में छोटे-छोटे बदलाव मेनोपॉज के दौरान राहत दे सकते हैं. जैसे, डेस्क फैन रखना, जिससे हॉट फ्लैश के दौरान ठंडक मिले. यदि संभव हो तो फ्लेक्सिबल वर्किंग आवर चुनें, ताकि थकान या दिक्कत होने पर राहत मिल सके.
3. सेल्फ-केयर को दें प्रायोरिटीमेनोपॉज के दौरान तनाव और थकान आम समस्याएं हैं. ऐसे में मेडिटेशन, हल्की एक्सरसाइज और माइंडफुलनेस अपनाएं. ये आदतें मानसिक शांति देती हैं और मूड स्विंग को कंट्रोल करने में मदद करती हैं.
4. बैलेंस डाइट और हाइड्रेशन का ध्यान रखेंमेनोपॉज के दौरान शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे वजन बढ़ सकता है और हड्डियों की ताकत कम हो सकती है. ऐसे में कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर डाइट लें. फाइबर रिच फूड (जैसे फल, सब्जियां और साबुत अनाज) को भी अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाएं. वहीं, कैफीन और शुगर का सेवन कम करें, क्योंकि ये मूड स्विंग को बढ़ा सकते हैं.
5. डॉक्टर से सलाह लेंमेनोपॉज के लक्षणों को नजरअंदाज न करें. गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें और आवश्यक होने पर हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) या अन्य ट्रीटमेंट ऑप्शन पर विचार करें.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.