दिल्ली में रहने वाली 28 साल की गीतू चौधरी प्रेग्नेंसी के दौरान लंबे समय से कमर दर्द का सामना कर रहीं थी, जो असल में स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस का संकेत था. इस बीमारी का पता उन्हें उस समय लगा जब वह डॉक्टर के पास शरीर का निचला हिस्सा पूरी तरह से सुन्न होने पर चेकअप के लिए पहुंचीं.
TOI से बातचीत के दौरान महिला ने बताया कि मैं पुरी तरह से वापस अपने पैरों पर खड़े होने की उम्मीद छोड़ चुकी थी. लेकिन पति और फॉर्टिस के डॉक्टर के सपोर्ट के कारण मैं चल भी पा रही हूं और अपने बच्चे का ख्याल भी रख सकती हूं. ये हमारे लिए बहुत रेयर केस था- डॉक्टर
फोर्टिस, शालीमार बाग के डॉक्टर्स जिन्होंने दो सर्जरी और फिजियोथेरेपी के बाद गीतू को ठीक किया उन्होंने टीओआई को बताया कि यह एक मुश्किल और रेयर केस था। क्योंकि पेशेंट प्रेग्नेंट थी और सर्जरी के लिए हमें उन्हें ऐसे लेटाने की जरूरत थी कि उसके पेट पर दबाव ना पड़े. साथ ही एनेथिसिया भी बहुत सावधानी से देना था.
बावजूद अपने सीरियस कंडीशन के गीतू ने हिम्मत नहीं हारी और सी-सेक्शन ऑपरेशन से एक हेल्दी बच्चे को जन्म दिया. लेकिन स्पाइनल टीबी की पहली और डिलीवरी के 15 दिन बाद एमआरआई में उनके स्पाइनल कॉर्ड में स्वेलिंग होने के कारण उनकी दूसरी सर्जरी करने पड़ी. जिसके बाद फिजियोथेरेपी से वह वापस अपने पैर पर आज चल पा रही हैं.
स्पाइनल टीबी के ये लक्षण न करें नजरअंदाज
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, स्पाइनल टीबी के सामान्य लक्षणों में कमर में दर्द, गर्दन में दर्द, बुखार, वजन कम, जकड़न, मूवमेंट करने में दिक्कत, रात में पसीना आना, नसों में दबाव के कारण पैरो में कमजोरी या पैरालिसिस मुख्य रूप से शामिल है. ध्यान रखें ये खतरनाक बीमारी बहुत ही सामान्य लक्षणों के साथ शुरू होती है, इसलिए इसपर नजर रखना आपके लिए बहुत ही जरूरी है.
क्यों होता रीढ़ की हड्डी में तपेदिक
तपेदिक रोग जिसे मेडिकल भाषा में टीबी या ट्यूबरक्लोसिस कहा जाता है, एक संक्रामक बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस से होता है. वैसे तो यह आमतौर फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन यह बोन्स और स्पाइनल तक भी पहुंच सकता है. ऐसे में यदि जब यह बैक्टीरिया रीढ़ की हड्डी के उत्तकों में पहुंचकर इंफेक्शन फैलता है तो इससे स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस होता है.