Women should not take stress during pregnancy risk of premature delivery increases by 50 percent | प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को नहीं लेना चाहिए तनाव, 50% तक बढ़ जाता है प्रसव का खतरा

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एक अध्ययन में पता चला है कि अगर गर्भवती महिलाएं मानसिक रूप से परेशान हो, तो उनमें समय पूर्व प्रसव का खतरा 50 फीसदी बढ़ जाता है. एक्सेटर यूनिवर्सिटी, लंदन स्थित किंग्स कॉलेज, लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन एवं लिवरपूल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में इंग्लैंड की 20 लाख महिलाओं को शामिल किया गया, जिनमें से हर 10 में से एक महिला में समय पूर्व प्रसव का खतरा पाया गया. यह अध्ययन जर्नल लेंसेट साइकेट्री में प्रकाशित हुआ है.
अध्ययन में महिला के गर्भवती होने से पहले की मानसिक परेशानियों और उसके बाद प्रसव के बीच संबंधों के टेस्ट पर विचार किया गया. इसमें पाया गया कि जिन महिलाओं को मनोरोग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उनमें उन महिलाओं की तुलना में समय पूर्व प्रसव की आशंका दोगुनी थी, जिनको उपचार लेने की जरूरत नहीं पड़ी थी.महिला की सेहत पर गंभीर असरअध्ययन में खराब मानसिक स्वास्थ्य और प्रतिकूल जन्म परिणाम के बीच संबंधों पर प्रकाश नहीं डाला गया है. प्रो. होवार्ड ने बताया कि संभव है कि खराब मानसिक सेहत का संबंध प्रतिकूल जन्म परिणाम से हो, क्योंकि तनाव की वजह से गर्भवती महिला का दिमाग प्रभावित होता है. अध्ययन में पाया गया कि मनोरोग अस्पताल में भर्ती होने वाली 0.65% गर्भवती महिलाओं का समय पूर्व प्रसव हुआ, जबकि 0.45% महिलाओं का प्रसव सामान्य रहा, जिन्हें गर्भावस्था से पहले मानसिक परेशानी नहीं थी.
अन्य परेशानियों की तरह महत्व देना जरूरीप्रो. होवार्ड ने बताया कि एक बार मरीज की मानसिक स्थिति के बारे में जानकारी मिल जाने पर उनका उपचार किया जाए, तो समय पूर्व प्रसव के अलावा कमजोर बच्चों के जन्म एवं उनकी मौत जैसे जोखिमों से बचा जा सकता है. होवार्ड ने कहा कि प्रसूति विशेषज्ञ इस बारे में विचार कर सकती है, जैसे वे गर्भवतियों के धूम्रपान या उनके मोटापे को लेकर टेस्ट करती हैं. होवार्ड के मुताबिक इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि कई महिलाओं को प्रसव से पहले मानसिक उपचार की जरूरत होती है.



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