महिलाएं कई कारणों जैसे हार्मोनल और मासिक धर्म संबंधी समस्याएं, बच्चे पैदा करना और एक साथ कई काम करने की वजह से जीवन के पहले दौर में ही बीमारी की चपेट में आ जाती हैं. महिलाओं की सेहत को आमतौर पर समय, जागरूकता और कई जिम्मेदारियों की वजह से अनदेखा किया जाता है. साथ ही, नियमित जांच अभी भी प्राथमिकता नहीं है.
एक महिला की इम्युनिटी 30 साल की उम्र से ही कम होने लगती है और वह पुरुषों की तुलना में हड्डियों की डेंसिटी में कमी, एनीमिया, थायरॉयड समस्याओं, कुपोषण, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और अन्य लाइफस्टाइल डिसऑर्डर से प्रभावित होने की अधिक संभावना रखती है. महिलाओं के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करने का एक तरीका शीघ्र निदान है. इसके लिए नियमित जांच और स्क्रीनिंग फायदेमंद होती है. हालांकि अधिकांश स्वास्थ्य जोखिम जीवन भर मौजूद रहते हैं, जिसके लिए महिलाओं को 20 साल की उम्र के बाद कुछ नियमित जांच करानी चाहिए.पाप स्मियर टेस्टमहिलाओं को नियमित अंतराल पर पाप स्मियर टेस्ट करवाना चाहिए, जो गर्भाशय कैंसर और अन्य संबंधित समस्याओं की स्क्रीनिंग के लिए महत्वपूर्ण होता है.
पीसीओडी/पीसीओएस स्क्रीनिंगयह ओवेरियन स्थिति हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है. यह समझना महत्वपूर्ण है कि पॉलीसिस्टिक ओवरी रोग और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम अलग-अलग स्थितियां हैं. पीसीओडी में अंडाशय अपरिपक्व अंडे छोड़ते हैं जिससे हार्मोनल असंतुलन और अंडाशय में सूजन हो जाती है. वहीं, पीसीओएस में अंतःस्रावी समस्याओं के कारण अंडाशय में अतिरिक्त एण्ड्रोजन (पुरुष सेक्स हार्मोन) का उत्पादन होता है, जिससे अंडों में सिस्ट बनने का खतरा होता है.
ममोग्राफी टेस्टममोग्राफी टेस्ट महिलाओं के स्तनों की स्क्रीनिंग के लिए किया जाता है, जिससे स्तन कैंसर और अन्य संबंधित समस्याओं की पहचान की जा सकती है. यह टेस्ट महिलाओं को नियमित अंतराल पर करवाना चाहिए.
ब्लड टेस्टमहिलाओं को नियमित अंतराल पर खून की जांच करवानी चाहिए, जिससे विभिन्न पैरामीटर्स की जांच की जा सकती है और स्वास्थ्य की निगरानी रखी जा सकती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)