महामारी के पांच साल बाद भी कोरोना के प्रभाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं. हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले लॉन्ग कोविड होने का खतरा 31% ज्यादा होता है. यह शोध अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर (UT Health San Antonio) ने नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (NIH) के सहयोग से किया.
लॉन्ग कोविड एक क्रॉनिक स्थिति है, जिसमें कोविड-19 संक्रमण के महीनों या सालों बाद भी लक्षण बने रहते हैं. इसके लक्षणों में थकान, नींद में दिक्कत, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, खांसी और दिल की धड़कन का अनियमित होना शामिल हैं. यह स्थिति कोविड-19 संक्रमण के कम से कम तीन महीने बाद शुरू होती है और लंबे समय तक बनी रह सकती है.
महिलाओं में खतरा क्यों ज्यादा?शोध में पाया गया कि उम्र, गर्भावस्था और मेनोपॉज के कारण महिलाओं को लॉन्ग कोविड का खतरा ज्यादा होता है. अध्ययन के अनुसार, 40-55 साल की उम्र की महिलाओं में यह खतरा सबसे ज्यादा है. मेनोपॉज से गुजरने वाली महिलाओं में लॉन्ग कोविड का खतरा 42% और गैर-मेनोपॉज महिलाओं में 45% ज्यादा पाया गया.
शोध की प्रमुख बातेंशोध “Sex Differences in Long Covid” शीर्षक से ‘जामा नेटवर्क ओपन’ में प्रकाशित हुआ. इसमें 12,276 प्रतिभागियों पर अध्ययन किया गया. यह अध्ययन 83 साइट्स पर 33 राज्यों, वाशिंगटन डीसी और प्यूर्टो रिको में किया गया.शोधकर्ताओं ने पाया कि महिलाओं में कोविड-19 संक्रमण का औसत उम्र 46 साल थी. लॉन्ग कोविड के खतरे का विश्लेषण करते समय नस्ल, जातीयता, कोविड वेरिएंट, संक्रमण की गंभीरता और सोशियो इकोनॉमिक फैक्ट्स को ध्यान में रखा गया.
पहले पुरुषों को माना जाता था ज्यादा जोखिम मेंपहले के अध्ययनों में पाया गया था कि पुरुषों में कोविड-19 के गंभीर मामले और मृत्यु दर ज्यादा होती है. लेकिन इस नए अध्ययन ने दिखाया कि संक्रमण के बाद महिलाओं में लॉन्ग कोविड का खतरा ज्यादा होता है.
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