Who first offered belpatra to lord shiva read inside story

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Who first offered belpatra to lord shiva read inside story



सर्वेश श्रीवास्तवअयोध्या: सनातन धर्म के लोग महाशिवरात्रि का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. महाशिवरात्रि के दिन देवाधिदेव महादेव की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है और भगवान शिव के मंदिर में शिवलिंग पर शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं. ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से अगर भगवान शंकर की पूजा आराधना की जाए तो सारे कार्य अच्छे से संपन्न होते हैं. भगवान शिव के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए पवित्र नदी का जल उसके साथ भांग, धतूर ,बेलपत्र दूर्वा अर्पित किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर भगवान शंकर को बेलपत्र क्यों पसंद है और उनके शिवलिंग पर आखिर बेलपत्र अर्पित क्यू किया जाता है. तो चलिए आज आपको हम इस रिपोर्ट के माध्यम से बताएंगे आखिर भगवान शंकर को क्यों प्रिय है बेलपत्र?

दरअसल सहस्त्र पुराणों के मुताबिक जब समुंद्र मंथन चल रहा था, तो उसमें से हलाहल विष निकला. जो संपूर्ण सृष्टि के विनाश का कारण बन रहा था. जिसे देख सभी देवी-देवता, जीव-जंतु, गंधर्व सभी व्याकुल होने लगे. तब सभी मिलकर भागवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने लगे, तीनों लोक में त्राहिमाम मच गया. सभी की प्रार्थना स्वीकार कर भोलेनाथ ने हलाहल को अपने कंठ में धारण कर लिया. भगवान भोलेनाथ ने विष तो धारण कर लिया, लेकिन हलाहल के तेज से भोलेनाथ के मस्तिष्क की गर्मी काफी बढ़ने लगी, जिसे शांत करने के लिए देवी देवताओं ने महादेव पर पवित्र नदियों का जल और बेलपत्र चढ़ाया. तभी से भगवान शिव को शांत करने के लिए पवित्र जल और बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई.

वहीं दूसरी तरफ एक अन्य धार्मिक मान्यता है कि घोर तप के बाद भी जब माता पार्वती भोलेनाथ को प्रसन्न नहीं कर पाई तो बेलपत्र पर राम नाम लिखकर भगवान शंकर को चढ़ाया जिसके बाद वो प्रसन्न हुए और माता पार्वती से विवाह हुआ. लिहाजा धार्मिक मान्यता के मुताबिक भगवान शंकर पर बेलपत्र चढ़ाने से देवाधिदेव महादेव अति प्रसन्न होते हैं. बेलपत्र के बिना भगवान शिव की पूजा करना अशुभ माना जाता है.

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ऐसे हुई बेलपत्र की उत्पत्तिज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए शिव की प्रिय वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं. जिसमें सबसे प्रमुख है बेलपत्र. पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार माता पार्वती के माथे से पसीना निकला और वह मनदान पर्वत पर जा गिरा. उससे बिल्लू नाम के वृक्ष की उत्पत्ति हुई. बेलपत्र के तने में समस्त तीर्थों का वास होता है और पत्तियों में साक्षात माता पार्वती विराजमान रहती हैं. इसलिए भगवान शिव को बेलपत्र अति प्रिय है. बेलपत्र चढ़ाते समय सावधानी बरतनी चाहिए. तीन पत्ती वाला बेलपत्र चढ़ाना चाहिए.

नोट: यहां दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है. न्यूज़ एटिन इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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