अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ : आपने अक्सर सफेद बाघों को देखा होगा और सफेद बाघ दूसरे बाघों से आपको बेहद खूबसूरत भी लगे होंगे. लेकिन असल में यह रंग इनकी खूबसूरती का नहीं बल्कि इनकी गहरी बीमारी के कारण होता है. बाघ असल में मेलेनिन की कमी की वजह से सफेद पड़ जाते हैं. मेलेनिन हमारी त्वचा को रंग प्रदान करता है. इसका संबंध स्किन के वास्तविक रंग से होता है.
पिगमेंटेशन होने पर पैची स्किन और त्वचा का रंग गहरा होने की समस्या होने लग जाती है. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट कौशलेंद्र सिंह ने बताया कि जिस तरह इंसानों के शरीर में मेलेनिन की कमी होने पर उनके शरीर पर कभी सफेद दाग निकल आते हैं तो कभी बहुत ज्यादा काले दाग हो जाते हैं, इसी तरह इन बाघों में भी यही हुआ है. तभी सफेद बाघों की उत्पत्ति हुई है.
कमजोर होते हैं सफेद बाघकौशलेंद्र सिंह ने बताया कि सफेद बाघ दूसरे बाघों की तुलना में बेहद कमजोर होते हैं. इन्हें धूप, सर्दी और बारिश से दिक्कत होती है. इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कमजोर होती है. इन्हें एब्नार्मल बाघ भी कहते हैं.
रीवा के सफेद बाघ हैं फेमसकौशलेंद्र सिंह ने बताया कि सफेद बाघ पहली बार मध्य प्रदेश के रीवा में महाराजा ने अपने निजी जंगल में देखा था. उन्हें बाघों को पालने का शौक था तो उन्होंने पाला और उन्होंने ही इन बाघों की ब्रीडिंग कराई, जिससे बड़ी संख्या में सफेद बाघों की उत्पत्ति हुई. उनके पास से ये बाघ न सिर्फ विदेश में गए बल्कि देशों के भी कई चिड़ियाघरों में इन्हें भेजा गया लेकिन जब कानून बना तो सभी बाघ अलग-अलग चिड़ियाघरों में भेज दिए गए.
.Tags: Local18, Lucknow news, Tiger, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : December 9, 2023, 16:22 IST
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