When sports started war between honduras el salvador 1970 WC soccer qualifier led to the war

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Controversy on Sports Ground : भारत में फिलहाल वनडे विश्व कप (ODI World Cup-2023) खेला जा रहा है. इस आईसीसी टूर्नामेंट के शुरू होने से पहले पाकिस्तान ने विवाद खड़ा करने की कोशिश की. फिर पाकिस्तानी क्रिकेटरों और पत्रकारों के वीजा को लेकर भी कुछ विवाद हुआ. इतना ही नहीं, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के चीफ जका अशरफ ने तो भारत को ‘दुश्मन देश’ तक कह दिया. अब एक नया विवाद ईडन गार्डन्स में खड़ा कर दिया गया. स्टेडियम में फिलीस्तीन जिंदाबाद के नारे लगाए गए. हालांकि खेल का मैदान पॉलिटिक्स का अड्डा पहली बार नहीं बना है. कभी फुटबॉल तो कभी रग्बी के मैचों में दर्शकों ने विवाद खड़ा किया है, जिस पर राजनीति हुई. एक ऐसा मैच तक इतिहास में हो चुका है जिसकी वजह से जंग हो गई. 
ईडन गार्डन्स में लगे नारेकोलकाता के ऐतिहासिक ईडन गार्डन्स में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच मैच में 3-4 लोग मिलकर अचानक से ‘फिलीस्तीन जिंदाबाद’ के नारे लगाने लगे. इसे देख हर कोई हैरान हो गया. इन लोगों को कुछ दर्शकों और पुलिसकर्मियों ने देखा. घटना के तुरंत बाद 4 लोगों को हिरासत में ले लिया गया है. इससे पहले पाकिस्तान के विकेटकीपर बल्लेबाज मोहम्मद रिजवान ने श्रीलंका के खिलाफ वर्ल्ड कप 2023 के मैच के दौरान विवाद खड़ा कर दिया था. उन्होंने अपने शतक को गाजा के लोगों के लिए डेडिकेट कर विवाद खड़ा किया. बाद में आईसीसी तक ये मामला पहुंचा.
फुटबॉल मैच से जंग!
क्रिकेट मैदान की बात तो आपको पता चल गईं, लेकिन क्या आपको पता है कि फुटबॉल मैच के कारण तो जंग छिड़ गई थी. साल 1969 की बात है. 27 जून की तारीख. एक फुटबॉल मैच मेक्सिको सिटी में खेला गया. 1970 के फीफा वर्ल्‍ड कप (FIFA World Cup) के क्‍वालिफायर जारी थे. ऐसे ही क्वालिफायर मैच में होंडुरास और अल-सल्‍वाडोर (Honduras vs El Salvador) आमने-सामने थे. वर्ल्‍ड कप के लिए क्‍वालिफाई करने को इन सेंट्रल अमेरिकी देशों की टीमों के बीच ये तीसरा मैच था. पहले मैच में होंडुरास 1-0 से जीता जबकि दूसरे में अल-सल्‍वाडोर 3-0 से जीत दर्ज की. दोनों ही मैचों के दौरान हिंसा की खबरें आईं. अब सबकी निगाहें तीसरे मैच पर थीं क्‍योंकि इसको जीतने वाली टीम को ही वर्ल्‍ड कप का टिकट मिल जाता. बड़ी संख्या में फुटबॉल प्रेमी स्टेडियम पहुंचे. वैसे भी फुटबॉल को लेकर जुनून तो आप जानते हैं कि फैंस मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं.
2-2 से बराबरी और फिर…
ऐसे में इस मुकाबले के लिए फुटबाल फैंस की दीवानगी सिर-चढ़कर बोल रही थी. 27 जून, 1969 को मेक्सिको सिटी के अज्‍टेका स्‍टेडियम में दोनों टीमें आमने-सामने थीं. निर्धारित 90 मिनट के दौरान दोनों टीमों के बीच मुकाबला 2-2 की बराबरी पर रहा. एक्‍स्‍ट्रा टाइम के 11वें मिनट में अल-सल्‍वाडोर के मॉरीसियो पीपो रॉड्रिगेज ने गोल दागा. ऐसे में जीत अल-सल्‍वाडोर को मिली. मैच का परिणाम आया कि अल-सल्‍वाडोर और होंडुरास के बीच अगले कुछ हफ्तों में जंग छिड़ गई. 
फुटबॉल वॉर से मशहूर
1969 में 14-18 जुलाई के बीच जंग हुई. दोनों ही देशों का बड़ा नुकसान हुआ. तकरीबन 100 घंटे तक युद्ध चला, जिसे इतिहास में फुटबॉल युद्ध या फुटबॉल वॉर (Football War) कहते हैं. कुछ लोग इसे सॉकर वार (Soccer War) भी कहते हैं. युद्ध की वजह मैच के अलावा एक और थी. दरअसल 1969 में अल-सल्‍वाडोर की आबादी 30 लाख थी और उससे आकार में करीब पांच गुना बड़े देश होंडुरास की आबादी 23 लाख थी. दोनों ही देशों के बड़े भूभाग पर अमेरिका की बड़ी कंपनियों का कब्‍जा था. इसका असर ये हुआ कि अल-सल्‍वाडोर के किसान ज्यादा जमीन पर खेती करने के चक्‍कर में पड़ोसी देश होंडुरास जाने लगे. 
किसानों से जुड़ा था मामला
सल्‍वाडोर सरकार ने भी इसका समर्थन किया क्‍योंकि इससे भू-माफियाओं के खिलाफ बगावत नहीं होती. होंडुरास के किसानों को इससे परेशानी हुई क्‍योंकि उन्हें लगा कि उनका हक सल्‍वाडोर के किसानों के पास जा रहा है. इसी वजह से उन्‍होंने बगावत कर दी. सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए भूमि-सुधार कानून लागू किया. देखते ही देखते दोनों देशों के किसानों के बीच बढ़ता वैमनस्‍य आम-लोगों तक के बीच हो गया. कई अन्‍य राजनीतिक कारण भी थे जिनके कारण दोनों देशों के बीच पहले से ही तनातनी बनी थी. ऐसी परिस्थितियों के बीच फुटबॉल मैचों ने आग में घी डालने का काम किया. बस अल-सल्‍वाडोर की जीत के बाद दंगे भड़क गए. नतीजतन 14 जुलाई को सल्‍वाडोर ने होंडुरास पर हमला बोल दिया. 4 दिन बाद अंतरराष्‍ट्रीय दबाव के चलते संघर्ष विराम हुआ.



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