Saif Ali Khan News: बॉलीवुड स्टार सैफ अली खान पर बुधवार देर रात उनके ही घर में हमला हुआ, जिसमें उन्हें 6 छोटे आईं. लीलावती अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी एक सर्जरी हुई. इस दौरान रीढ़ की हड्डी और गर्दन में घुसा हुआ चाकू निकाला गया. सर्जरी को लेकर अस्पताल के डॉक्टरों के बताया कि सैफ को रीढ़ की हड्डी के पास गहरी चोट लगी थी, जिसमें रीढ़ की हड्डी के आस-पास की स्पाइनल फ्लूइड लीक (Cerebrospinal Fluid) हो गई, जिसे ठीक करने के लिए सर्जरी की गई थी. सर्जरी के बाद उन्हें ICU में शिफ्ट कर दिया गया था.
क्या है स्पाइनल फ्लूइड लीक?
स्पाइनल फ्लूइड लीक (Cerebrospinal Fluid) एक तरह का फ्लूइड है जो मस्तिषक और रीढ़ की हड्डी को सुरक्षित रखने का काम करती है. ये फ्लूइड प्लास्टिक लेयर (ड्यूरा) से घिरा होता है. अगर उस जगह पर चोट लगती है, तो ड्यूरा फट सकती है. इसके लीक होने से मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में संक्रमण फैलने का खतरा रहता है, जिसे ‘मेनिन्जाइटिस’ कहा जाता है. आपको बता दें ये जानलेवा भी हो सकता है. इसके साथ-साथ इसके लीक से ‘एराक्नॉयडाइटिस’ जैसे समस्याएं भी हो सकती हैं, इससे सिरदर्द, दौरे और कभी-कभी लकवा भी हो सकता है.
सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (CSF) का काम
सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (CSF) एक रंगहीन तरल है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को चोट से बचाने के लिए एक नरम तकिया जैसा काम करता है. यह मस्तिष्क को हल्का करता है, जिससे खोपड़ी पर दबाव नहीं पड़ता. इसके अलावा मस्तिष्क को पोषण और कचरे को हटाने और संक्रमण से बचाने के लिए भी ये फ्लूइड मददगार है. इसके लीक होने से तीव्र सिरदर्द, चक्कर आने, मतली, गर्दन में अकड़ने और रोशनी से संवेदनशीलता जैसे लक्षण दिख सकते हैं.
सर्दजरी के बाद कैसे होगी सैफ की देखभाल और रिकवरी
सीएसएफ लीक के इलाज और रिकवरी का तरीका चोट की गंभीरता पर निर्भर करती है. कई बार ज्यादा पानी पीना और आराम करने से मदद मिल सकती है. वहीं अगर चोट ज्यादा गहरी है तो इलाज के लिए ‘एपिड्यूरल ब्लड पैच’ का किया जाता है, जिसमें मरीज के खून को एपिड्यूरल स्थान में इंजेक्ट किया जाता है, ताकि लीक बंद हो सके. वहीं सैफ अली खान की स्थिति में इलाज के लिए सर्जरी की गई, सर्जरी से ड्यूरा को सील को किया गया. आमतौर पर सर्जरी के बाद, मरीज को 2-4 हफ्ते तक शारीरिक गतिविधि से बचना चाहिए, ताकि फिर से चोट या लिक होने का खतरा न हो. एक्सपर्ट के अनुसार सर्जरी से सही इलाज से मरीज पूरी तरह ठीक भी हो सकते हैं.