What Is Red Light Therapy: रेड लाइट थेरेपी को झुर्रियों, मुंहासे, सोरायसिस, निशानों और धूप से डैमेज त्वचा के लिए एक आशाजनक इलाज के रूप में और कुछ तरह के कैंसर के लिए एक सपोर्टिव थेरेपी के रूप में तेजी से अपनाया जा रहा है. लेकिन क्या ये थेरेपी उस हाइप पर खरी उतरती है जो इसे सभी तरह की बीमारियों के लिए तकरीबन रामबाण बताती है?
डॉक्टर क्या कहते हैं?प्रवीण अरनी (Praveen Arany), यूनिवर्सिटी ऑफ बफ़ेलो (University of Buffalo) में ओरल बायोलॉडी, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग और सर्जरी के प्रोफेसर और चिकित्सा के मकसद के लिए लाइट और लेजर के इस्तेमाल के एक्सपर्ट हैं. वो बताते हैं कि रेड लाइट थेरेपी कैसे काम करती है, किन बीमारियों और स्थितियों के लिए ये सबसे उपयोगी हो सकती है, और क्या इस थेरेपी की होम डिवाइसेज असरदार हैं?
रेड लाइट थेरेपी क्या है?
रेड लाइट थेरेपी के साथ इलाज में अस्पताल या क्लिनिक में बहुत कम डोज में लाल बत्ती के संपर्क में आना शामिल है. इसे लो-पॉवर लेजर थेरेपी, सॉफ्ट लेजर थेरेपी, कोल्ड लेजर थेरेपी और नॉन थर्मल एलईडी लाइट थेरेपी भी कहा जाता है. अम्ब्रेला टर्म को फोटोबायोमॉड्यूलेशन थेरेपी (Photobiomodulation Therapy) कहा जाता है, जिसमें दूसरे कलर, या वेवलेंथ शामिल हैं, जिनके हेल्थ बेनेफिट्स हैं. ये लाइट वेवलेंथ स्पान से नियर-इंफ्रारेड स्पेक्ट्रम तक फैले हुए हैं. रेड लाइफ से फोटोबायोमॉड्यूलेशन थेरेपी में सबसे पॉपुलर है। इसका मुख्य कारण इसकी मौजूदगी है – ये इलाज तीन दशकों से ज्यादा समय से चला आ रहा है.
दूसरे रंग की लाइट थेरेपीजजबकि ये सच है कि दूसरे रंग भी चिकित्सकीय और व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हैं, रिसर्चर्स अभी भी ये निर्धारित करने के लिए उनकी स्टडी कर रहे हैं कि वे असल में कितने असरदार हैं. कहा जा रहा है, ग्रीन लाइट थेरेपी का इस्तेमाल आम तौर पर माइग्रेन के इलाज के लिए किया जाता है, डिप्रेशन के लिए येलो लाइट और ब्लू लाइट बैक्टीरिया के रेजिस्टेंड स्ट्रेन, जैसे कि MRSA संक्रमण को मारने के लिए, और सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर, एक डिप्रशन जो आमतौर पर पतझड़ के अंत में शुरू होता है और सर्दियों तक जारी रहता है, इसके इलाज के लिए किया जाता है.
(इनपुट-पीटीआई)
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.