What is rabbit fever Symptoms of flu including 104°F fever will be seen do not understand the effect of weather | रैबिट फीवर क्या है? दिखेंगे 104°F बुखार समेत फ्लू के लक्षण, न समझें मौसम का असर

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What is rabbit fever Symptoms of flu including 104°F fever will be seen do not understand the effect of weather | रैबिट फीवर क्या है? दिखेंगे 104°F बुखार समेत फ्लू के लक्षण, न समझें मौसम का असर



रैबिट फीवर जिसे तुलारेमिया भी कहते हैं, एक रेयर डिजीज है. यह बीमारी पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका में तेजी से बढ़ रही है, जिससे यह चिंता विषय बन गया है. अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, 2011 और 2022 के बीच तुलारेमिया के मामलों में 56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 
बता दें, इस डिजीज का सबसे ज्यादा खतरा पांच से नौ साल के बच्चे, वृद्ध पुरुष और अमेरिकी भारतीय या अलास्का मूल निवासी लोग बन रहे हैं. साथ ही जंगलों में जाने वाले लोगों में भी इसका जोखिम काफी बढ़ जाता है. ऐसे में इस बीमारी को डिटेल में समझ लेना बचाव के लिए जरूरी है. 
तुलारेमिया के लक्षण
आमतौर पर, इंफेक्शन होने पर लक्षण तीन से पांच दिन के भीतर दिखाई देते हैं और इनमें तेज बुखार (104°F तक), शरीर में दर्द, थकान, और सर्दी के झटकें शामिल हैं. इसके अलावा संक्रमण की जगह के पास लिम्फ नोड्स का सूजना भी सामान्य लक्षण है. इस बीमारी के चार रूप होते हैं: उल्सेरोग्लैंड्यूलर, ग्लैंड्यूलर, न्यूमोनिक और टाइफॉइडल.
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तुलारेमिया कैसे फैलता है?
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कोश्यस अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. पल्ली सिवा कार्तिक रेड्डी ने बताया कि तुलारेमिया “फ्रांसिसेला तुलारेन्सिस” नामक बैक्टीरिया से फैलता है. साथ ही इससे संक्रमित जानवरों जैसे खरगोशों, हिरणों के संपर्क में आने से होता है. इसके अलावा, टिक्स के काटने से, संक्रमित जानवरों का मांस खाने से भी यह रोग फैल सकता है.
क्यों बढ़ रहे तुलारेमिया के मामले?
– गर्मी के कारण टिक की गतिविधि में वृद्धि और उनका प्रजनन मौसम लंबा होना, जिससे रोग का फैलाव बढ़ता है.- वनों की कटाई और जैविक आवास में रहने से संक्रमित जानवरों से संपर्क बढ़ रहा है.- स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और बेहतर निगरानी के कारण मामलों का पता चलना आसान हो गया है.
उपचार के विकल्प
तुलारेमिया का इलाज एंटीबायोटिक से किया जा सकता है. डॉ. रेड्डी के अनुसार, स्ट्रेप्टोमाइसिन और जेंटामाइसिन पहले विकल्प होते हैं, जबकि हल्के मामलों में डॉक्सीसाइक्लिन या सिप्रोफ्लोक्सासिन का उपयोग किया जाता है. इलाज 10 से 21 दिन तक चल सकता है और यदि जल्दी शुरू किया जाए, तो रोगी ठीक हो जाते हैं और गंभीर जटिलताओं से बच सकते हैं.
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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