जापान में माइकोप्लाज्मा निमोनिया के मामलों में हाल के दिनों में काफी तेजी देखने को मिल रही है. राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान के अनुसार, 12 जनवरी तक इस संक्रमण के रोगियों की साप्ताहिक औसत संख्या 1.11 तक पहुंच गई, जो पिछले सप्ताह की तुलना में 0.34 की अधिक है.
यह आंकड़ा बीते एक दशक का सबसे अधिक औसत है. माइकोप्लाज्मा निमोनिया, विशेष रूप से बच्चों में पाया जाने वाला एक सामान्य संक्रमण है. गंभीर मामलों में यह निमोनिया का कारण बन सकता है, जिसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है.
क्या है माइकोप्लाज्मा निमोनिया
माइकोप्लाज्मा निमोनिया एक प्रकार का बैक्टीरिया है, जो हल्की बीमारी का कारण बनता है. लेकिन यह निमोनिया, फेफड़ों का संक्रमण भी पैदा कर सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार, इस संक्रमण का प्रसार हवा के माध्यम से होता है, और यह सर्दियों के दौरान तेजी से फैलता है.
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लक्षण
माइकोप्लाज्मा निमोनिया आमतौर पर सर्दी-जुकाम के जैसे लक्षणों से शुरू होता है, और एक से चार सप्ताह के भीतर इसका असर दिखने लगता है. इसमें रोगी को बुखार, खांसी, सिरदर्द और थकान जैसे लक्षण महसूस होते हैं.
इन लोगों को ज्यादा खतरा
इस संक्रमण का प्रभाव बच्चों, बुजुर्गों और उन व्यक्तियों पर ज्यादा होता है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है. इसके अलावा, माइकोप्लाज्मा संक्रमण का प्रकोप सेना, अस्पतालों और नर्सिंग होम जैसी जगहों पर भी देखने को मिलता है.
तेजी से बढ़ रहे मामले
रिपोर्ट्स के अनुसार, देशभर के 3,000 चिकित्सा संस्थानों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जनवरी में संक्रमण के मामलों में वृद्धि देखी गई है, जिसमें अस्पतालों में औसतन 0.94 मामले सामने आए हैं. यह पिछले सप्ताह के 0.78 मामलों से अधिक है.
ये बीमारी भी बरपा रही कहर
एरिथेमा इंफेक्टियोसम नामक बीमारी भी तेजी से फैल रही है, जिसमें गालों पर लाल चकत्ते दिखाई देते हैं. इस बीमारी के लक्षण सर्दी-जुकाम जैसे होते हैं, लेकिन बाद में गालों पर लाल चकत्ते दिखाई देने लगते हैं.
बचाव के उपाय
माइकोप्लाज्मा निमोनिया और एरिथेमा इंफेक्टियोसम दोनों ही संक्रामक रोग हैं और इनके प्रसार को रोकने के लिए विशेषज्ञ मास्क पहनने और नियमित हाथ धोने जैसे उपायों को अपनाने की सलाह दे रहे हैं.
-एजेंसी-