डायबिटीज के मामले में कीटोन्स शरीर द्वारा ऊर्जा के लिए फैट को जलाने का एक बाय प्रोडक्ट होता है, जब ग्लूकोज आसानी से उपलब्ध नहीं होता है. ऐसा तब होता है जब कोशिकाओं में ऊर्जा के लिए ग्लूकोज को जाने देने के लिए पर्याप्त इंसुलिन नहीं होता है.
लेकिन जब कीटोन्स खून ज्यादा बढ़ जाते हैं, तो इससे डायबिटीज कीटोएसिडोसिस (डीकेए) नामक एक गंभीर मेडिकल कंडीशन हो जाता है. यदि इसका तुरंत उपचार शुरू ना किया जाए तो इससे मरीज के कोमा में जाने का खतरा बढ़ जाता है.
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क्यों जरूरी है कीटोन
कीटोन आपके मस्तिष्क और शरीर को ग्लूकोज की अनुपस्थिति में ईंधन प्रदान करते हैं, जो आपके शरीर का प्राथमिक ऊर्जा स्रोत है। जब मुख्य स्रोत समाप्त हो जाता है, कम हो जाता है या अनुपयोगी हो जाता है, तो कीटोन को अपने बैकअप ऊर्जा भंडार के रूप में सोचें।
कीटोन कितना होना चाहिए?
ब्लड टेस्ट में कीटोन लेवल .6 मिलीमोल प्रति लीटर से कम (mmol/L) नॉर्मल, .6 से 1.5 mmol/L मीडियम रिस्क, 1.6 से 2.9 mmol/L डी.के.ए. का हाई रिस्क और 3.0 mmol/L से अधिक इमरजेंसी की कैटेगरी में आता है. बता दें कीटोन लेवल को दो तरह से चेक किया जाता है- ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट. सटीक जानकारी के लिए ब्लड टेस्ट बेहतर होता है. यूरिन टेस्ट में सिर्फ कुछ घंटे पहले तक के कीटोन लेवल का पता चलता है.
डायबिटीज कीटोएसिडोसिस के लक्षण
बार-बार प्यास लगनासामान्य से ज्यादा बार पेशाब आनाउल्टी और दस्तपेट दर्दत्वचा और मुंह का सूखनातेज, गहरी सांस आनासिरदर्दमांसपेशियों में जकड़न या दर्दथकान का भ्रम
कीटोन ज्यादा हो तो क्या करें?
कीटोन की मात्रा बढ़ने पर प्रतिदिन इंसुलिन और ब्लड शुगर के स्तर की निगरानी करें. एक आहार योजना बनाएं जिसमें ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाने के लिए कार्बोहाइड्रेट शामिल हों. ज्यादा पानी पिएं ताकी कीटोन्स आसानी से शरीर से बाहर निकल सके.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)