what is childhood trauma know how you can overcome from it | हर बात पर गुस्सा, किसी से बात करने में हिचकिचाहट या सोशल गैदरिंग से दूरी; बचपन के किसी ट्रॉमा के कारण जवानी में होता है ऐसा हाल

admin

what is childhood trauma know how you can overcome from it | हर बात पर गुस्सा, किसी से बात करने में हिचकिचाहट या सोशल गैदरिंग से दूरी; बचपन के किसी ट्रॉमा के कारण जवानी में होता है ऐसा हाल



How to Overcome Childhood Trauma: बचपन में हुए किसी खराब अनुभव का असर जब अडल्ट लाइफ पर पड़ता है, तो उसे चाइल्डहुड ट्रॉमा कहते है. यह बचपन के किसी तरह के फिजिकल, सेक्सुअल या मेंटल शोषण या ट्रॉमा की यादों के कारण हो सकता है. बच्चों को मारना या सेक्सुअली हैरासमेंट करना उनके मन-दिमाग पर गहरा असर छोड़ सकता है, जिसका नकारात्मक असर जिंदगी भर उसके साथ रह जाता है. इसके कारण बड़े होने पर भी व्यक्ति को कई चेतावनियों का सामना करना पड़ता है. चाइल्डहुड ट्रॉमा बच्चों में डिप्रेशन का एक कारण है, इसके कारण वे अपनी अलग दुनिया में रहना पसंद करते हैं.
 
चाइल्डहुड ट्रॉमा के लक्षण (Symptoms of Childhood Trauma in Adulthood)
किसी भी व्यक्ति के अंदर चाइल्डहुड ट्रॉमा को आप कई लक्षणों से पहचान सकते हैं. इस स्थिति में व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के साथ इमोश्नल तरीके से जुड़ने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. व्यक्ति हर पल खोया हुआ महसूस करता है, जल्दी गुस्सा करता है, छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाता है, दूसरों से बात करने में हिचकिचाहट महसूस करता है, सोशल गैदरिंग से दूरी बनाना है, या डिप्रेश भी इसके लक्षण हो सकते हैं. 
 
चाइल्डहुड ट्रॉमा के बाहर आने के उपाय
योग व मेडिटेशन
तन और मन को शांत करने का सबसे असरदार तरीका योग व मेडिटेसन है. दिनभर में कम-से-कम 5 मिनट योग व मेडिटेशन करने से आपको सुकून महसूस होता है. इससे आपकी मेंटल हेल्थ बेहतर होने लगेगी. 
 
पेरेंट्स न बनाए दूरी
बचपन में एक समय ऐसा आता है, जब हमें अपने पेरेंट्स के साथ रहना पसंद नहीं आता है. हम उनसे दूरियां बनाने लगते हैं, जो चाइल्डहुड ट्रॉमा जैसे स्थिति को बढ़ावा देता है. ऐसे में अपने पेरेंट्स के साथ बनी दूरियों को कम करें और उनसे अपने मन की बात शेयर करें. इससे आपको बेहतर महसूस होगा और वे भी आपकी मदद कर पाएंगे. 
 
अपनी समस्याओं को शेयर करें
अपनी परेशानियों को दूसरों के साथ शेयर करने की कोशिश करें. हर चीज को अपने तक रखने से मन में बोझ बढ़ने लगता है, जो आपके मेंटल हेल्थ पर असर डालता है. किसी से ट्रॉमा न शेयर करने से, वह डिप्रेशन का कारण बन जाता है. इसलिए अपने दोस्तों या परिवार के साथ समय बिताएं, और उनसे अपनी परेशानियों को शेयर करें. 
 
काउसलिंग
अगर आप डिप्रेश्ड या किसी तरह की मेंटल समस्या से जूझ रहे हैं, तो काउसलिंग लेने से न हिचकिचाएं. इससे सालों पुरानी मेंटल समस्याओं को ठीक किया जा सकता है. 
 
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है.  Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



Source link