Ways Of Testing Diabetes: डायबिटीज मेटाबॉलिक डिसऑर्डर का ग्रुप है जिसमें ब्लड शुगर के लेवल पर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है. हाइपरग्लाइसेमिया, जिसे हाई ब्लड ग्लूकोज लेवल भी कहा जाता है, अनकंट्रोल्ड डायबिटीज का एक कॉमन इफेक्ट है और वक्त के साथ गंभीर जटिलताओं की ओर जाता है. मधुमेह के मुख्य प्रकार टाइप 1, टाइप 2 और गर्भावस्था जेस्टेशनल डायबिटीज हैं.
जटिल बीमारी है डायबिटीजसबसे कॉमन टाइप 2 डायबिटीज है, इसमें शरीर इंसुलिन रिजिस्टेंट हो जाता है या पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है. टाइप 1 डायबिटीज, जिसे पहले जुवेनाइल डायबिटीज या इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज रूप में जाना जाता था, एक क्रोनिक कंडीशन है जिसमें पैंक्रियाज बहुत कम या कोई इंसुलिन नहीं बनाता है.
जेस्टेशनल डायबिटीज उन महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड शुगर लेवल का कारण बनता है जिन्हें पहले से मधुमेह नहीं था. इस बीमारी से पीड़ित महिलाओं को प्रेग्नेंसी और डिलिवरी के दौरान कॉम्पलिकेशंस का ज्यादा रिस्क होता है.
बढ़ रही है डायबिटीज पेशेंट की तादाद
आंकड़े बताते हैं कि 2050 तक दुनिया भर में 1.31 बिलियन से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित हो सकते हैं. इसका मतलब है कि इतने सारे लोग एक ऐसी बीमारी से पीड़ित होंगे जो जीवन बदलने वाली रुग्णता, ज्यादा मृत्यु दर और अन्य कई बीमारियों के साथ बातचीत और बढ़ जाती है. संख्या में तेजी से वृद्धि के साथ, इसे सही मायने में ‘डिजीज ऑफ द सेंचुरी’ कहा जा रहा है. डायबिटीज बीमारी के अहम फैक्टर्स में मोटापे, डाइटरी रिक्स, एनवायरनमेंटल रिस्क और प्रोफेशनल रिस्क, तंबाकू के सेवन, शराब के सेवन और कम फिजिकल एक्टिविटी के कारण होता है.
डायबिटीज के लक्षण और इसका असर
मधुमेह के लक्षणों में बहुत अधिक प्यास लगना, सामान्य से अधिक बार पेशाब जाने की जरूरत, धुंधला दिखाई देना, थकान महसूस होना और अनजाने में वजन कम होना शामिल है. वक्त के साथ डायबिटीज दिल, आंख, किडनी और नर्व्स को नुकसान पहुंचा सकता है. इस तरह हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, किडनी फेलियर या यहां तक कि पर्मानेंट लॉस ऑफ विजन सहित सेहत से जुड़ी दूसरी परेशानियों का ज्यादा जोखिम होता है।
डायबिटीज का पता लगाने के तरीके
मशहूर पैथोलॉजिस्ट डॉ, रेंजी जैकब (Dr Renji Jacob) ने बताया कि टेक्नोलॉजी में तरक्की के कारण आज हमारे पास कई तरीके आ चुके हैं जिसके जरिए डायबिटीज को मॉनिटर किया जा सकता है.
1. एवनसी टेस्टA1C टेस्ट पिछले तीन महीनों के लिए आपके एवरेज ब्लड शुगर लेवल को मेजर करता है. इस तरह से डायग्नोज होने के फायदे ये हैं कि आपको फास्टिंग करने या कुछ भी पीने की जरूरत नहीं है. 6.5% या उससे ज्यादा के A1C पर डायबिटीज का पता लगया जाता है.
2. फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्टफास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट आपके फास्टिंग ग्लूकोज लेवल की जांच करता है. यहां फास्टिंग का मतलब है कि टेस्ट से कम से कम 8 घंटे पहले कुछ भी खाने या पीने (पानी को छोड़कर) से पहले. ये टेस्ट आमतौर पर सुबह सबसे पहले, नाश्ते से पहले किया जाता है. 126mg/dl या उससे ज्यादा की फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज के लेवल का डायग्नोज मधुमेह के रूप में किया जाता है.
3. रैंडम ब्लड शुगर टेस्टरैंडम ब्लड शुगर टेस्ट दिन के किसी भी समय किया जाता है जहां फास्टिंग की जरूरत नहीं होती. 200mg/dl या उससे ज्यादा के रैंडम ब्लड शुगर के लेवव पर डायबिटीज डायग्नोज किया जाता है.
4. ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्टओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट एक 2-3 घंटे का टेस्ट है जो स्वीट ड्रिंक पीने से पहले और बाद में आपके ब्लड ग्लूकोज के लेवल की जांच करता है. ये डॉक्टर को बताता है कि आपका शरीर शुगर को कैसे प्रॉसेस करता है.
5. प्वाइंट ऑफ केयर टेस्टहाल ही में प्वाइंट ऑफ केयर टेस्टिंग (POCT) डिवाइस के आने से टेस्टिंग और भी आसान बन गई है और इस तरह मरीज को अपने ब्लड शुगर लेवल पर नज़र रखने में सक्षम बनाया है.
6. रीयल-टाइम कंटीन्यूअस ग्लूकोज मॉनिटरएक रीयल-टाइम कंटीन्यूअस ग्लूकोज मॉनिटर (CGM) एक नई तकनीक है जो त्वचा के नीचे डाले गए सेंसर का इस्तेमाल करके पूरे दिन ब्लड शुगर लेवल की लगातार निगरानी करती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.