What are The Risk of Antacid Habits Used as Quick Relief For Acidity Digestion | Antacid: 5 सेकेंड में एसिडिटी भगाने वाले पाउच की आदत कहीं बन न जाए आफत, जान लें इसके नुकसान

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What are The Risk of Antacid Habits Used as Quick Relief For Acidity Digestion | Antacid: 5 सेकेंड में एसिडिटी भगाने वाले पाउच की आदत कहीं बन न जाए आफत, जान लें इसके नुकसान



Antacid Risk: एसिडिटी तब होती है जब हमारा पेट हद से ज्यादा गैस्ट्रिक एसिड प्रोड्यूस करने लगता है, जिससे पेट की परत में जलन और परेशानी होती है. ये अक्सर सीने में जलन, अपच, मुंह में खट्टा स्वाद और निगलने में परेशानी जैसे लक्षणों के जरिए नजर आता है. कभी-कभी एसिडिटी होना आम बात है, लेकिन बार-बार एपिसोड गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) या पेप्टिक अल्सर जैसी दिक्कत सेहत खराब होने का इशारा देती हैं.

एसिडिटी क्यों होती है?
एसिडिटी होने के पीछे कई फैक्टर्स जिम्मेदार हो सकते हैं, सोचिए कि आप क्या गलती कर रहे हैं कि आपको इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
1. खराब डाइट (स्पाइसी और ऑयली फूड)2. हद से ज्यादा टेंशन लेना3. चाय-कॉफी ज्यादा पीना4. शराब पीना5. ओवरईटिंग6. स्मोकिंग7. मोटापा8. फिजिकल एक्टिविटीज की कमी9. खाने के बाद तुरंत लेट जाना10. पानी कम पीना

एंटासिड किसे कहते हैं?एंटासिड मार्केट में मिलने वाला वो टैब्लेट या पाउडर होता है जो अक्सर 5 से 10 सेकेंड में एसिडिटी से राहत दिलाने का दावा करता है. काफी लोगों को इसके जरिए क्विक रिलीफ भी मिल जाता है, लेकिन कई हेल्थ एक्सपर्ट इसके रेगुलर यूज पर चिंता जाहिर करते हैं. एंटासिड थोड़ी देर के लिए परेशानी जरूर दूर कर सकते हैं, लेकिन ये दिक्कत की जड़ में नहीं जाते. 
कैसे काम करता है एंटासिड?एंटासिड पेट के एसिड को बेअसर करके डिसकंफर्ट और सीने में जलन को कम करते हैं. हालांकि वो खराब डाइट, स्ट्रेस या जीईआरडी या पेप्टिक अल्सर जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर्स जैसी परेशानियों से नहीं निपटते हैं.
 
एंटासिड के नुकसान
एंटासिड पर लंबे वक्त तक डिपेंडेंसी से रिबाउंड एसिडिटी (rebound acidity) हो सकती है, जहां दवा के असर के बाद एसिड प्रोडक्शन बढ़ जाता है। इसके अलावा, ये जरूरी न्यूट्रिएंट्स के एब्जॉर्ब्शन पर भी असर डाल सकता है, जिससे ओवरऑल हेल्थ अफेक्ट होता है. आप बार बार एंटासिड के जरिए राहत पाने के बजाए अपनी लाइफस्टाइल और फूड हैबिट्स में सुधार करें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर के पास जाएं.

क्या कर सकते हैं आप?
1. तेल और मसाले वाले फूड कम से कम खाएं2. भोजन के साथ दही जैसे प्रोबायोटिक्स खाएं3. रात को सोने से 2-3 घंटे पहले खाना खाएं4. खाली पेट चाय-कॉफी न पिएं साथ ही इसके इनटेक को लिमिट करें5. शराब से पूरी तरह तौबा करें6. ओवरईटिंग न करें7. स्मोकिंग छोड़ें8. वेट मेंटेन करें9. एक्सरसाइज करें10. खाने के बाद 15 मिनट पैदल चलें11. रोजाना 7 से 8 ग्लास पानी पिएं
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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