नेचुरल तरीके से वजन घटाना आसान नहीं है, इसमें काफी टाइम लग सकता है. ऐसे में वेट लॉस दवाओं का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है. लेकिन हाल ही में ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक स्टडी में अमेरिका और कनाडा के शोधकर्ताओं ने बताया है कि दवा की मदद से वेट लॉस करने से मांसपेशियों पर नकारात्मक असर हो सकता है.
स्टडी में जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट की इस्तेमाल पर ज्यादा फोकस किया गया है. पेनिंगटन बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर और कनाडा के अल्बर्टा और मैकमास्टर विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने बताया है कि 36 से 72 हफ्तों के दौरान कुल वजन कम होने पर 25 से 39 प्रतिशत मांसपेशियों को नुकसान हो सकता है.
मसल्स मास कम होने से क्या होता है
मांसपेशियों मास में कमी न केवल शारीरिक ताकत और कार्यक्षमता को प्रभावित करती है, बल्कि मेटाबॉलिक स्वास्थ्य और इम्यून सिस्टम पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है.
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इन गंभीर बीमारियों का भी बढ़ता है जोखिम
ये दवाएं मोटापे के उपचार में प्रभावी साबित हुई हैं, लेकिन इससे स्वास्थ्य समस्याओं जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर का भी खतरा है. इतना ही नहीं इसके इस्तेमाल से मांसपेशियों को भी नुकसान पहुंचता है.
मौत भी हो सकती है!
शोधकर्ताओं ने बताया कि मोटापे से पीड़ित लोगों में मांसपेशियों की कमी के कारण सार्कोपेनिक मोटापा बढ़ सकता है. इस स्थिति में मांसपेशियों की कमजोरी के साथ-साथ अधिक वजन भी होता है, जो हृदय रोग और मृत्यु दर को बढ़ा सकता है.
इस बात का रखें ध्यान
शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि वजन कम करने के लिए दवाओं के साथ-साथ पर्याप्त प्रोटीन का सेवन और नियमित व्यायाम पर ध्यान दिया जाना चाहिए. यह न केवल वजन घटाने में मदद करेगा, बल्कि मांसपेशियों को भी बनाए रखने में सहायक होगा.
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