जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, मनोभ्रंश यानि डिमेंशिया का खतरा बढ़ता जाता है. हालांकि, उम्र बढ़ने से जुड़े कई फैक्टर हैं जो इस परेशान करने वाली स्थिति के विकसित होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं जो आपकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में हस्तक्षेप करती है. ऐसा ही एक फैक्टर आंखों का कमजोर होना भी है. जेएएमए ऑप्थैल्मोलॉजी में प्रकाशित एक नए अध्ययन में पाया गया है कि आंखों की समस्याओं वाले बुजुर्ग लोगों में मनोभ्रंश विकसित होने की अधिक संभावना हो सकती है. शोध में कहा गया है कि किसी व्यक्ति की आंखों में जितनी अधिक प्रकार की समस्याएं होंगी, मनोभ्रंश की संभावना उतनी ही अधिक होगी.
बता दें कि कमजोर नजर की समस्याओं के तीन मुख्य प्रकार हैं- दूर का नहीं दिखना, पास का नहीं दिखना और किसी दो वस्तु व दो समान रंगों के बीच अंतर न करने की झमता. मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 2021 राष्ट्रीय स्वास्थ्य और उम्र बढ़ने के रुझान अध्ययन के आंकड़ों का विश्लेषण किया, जिसमें सभी प्रकार की दृष्टि समस्याओं और अल्जाइमर रोग सहित मनोभ्रंश के अधिक प्रसार के बीच एक संबंध दिखाया गया. शोध में 71 और उससे अधिक उम्र के 2967 प्रतिभागियों का राष्ट्रीय डेटा शामिल था.ब्रेन और आंख का काम कैसे लिंक है?दिमाग और आंख एक संबंधित व सम्बद्ध तंत्रिका का हिस्सा हैं. आंख दिमाग के साथ बात करके जानकारी और संकेतों को दिमाग के लिए प्रेषित करती हैं, जिससे हमारी दृष्टि और विचार प्रक्रिया संभव होती हैं. जब हम आंखों के माध्यम से दृश्य को देखते हैं, आंखों के न्यूरॉन्स ब्रेन को संकेत भेजते हैं, जिससे हम दृश्य को समझ पाते हैं और उसका प्रतिक्रियात्मक उत्पादन होता है. इस प्रकार, आंख और ब्रेन एक मिशन के साथ मिलकर हमें स्पष्ट दृश्य, संवेदनशीलता और ब्रेन की सक्रियता प्रदान करते हैं.
डिमेंशिया के अन्य लक्षण
भूल जाने की आदत
भाषा और बातचीत की समस्या
समय और स्थान के लेकर कंफ्यूज हो जाना
खुद पर नियंत्रण में कमी, घूमते रहना और खो जाना, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, या व्यक्तित्व में बदलाव
असंतुलित चाल या मांसपेशियों की गतिविधियों में तालमेल न कर पाना
अकेलापन, घबराहट, चिंता, या मिजाज बदलते रहना
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)