विलुप्त हो रही गौरैया को बचाने में जुटी यह संस्था, कर रही है यह बेहतरीन काम

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विलुप्त हो रही गौरैया को बचाने में जुटी यह संस्था, कर रही है यह बेहतरीन काम

सहारनपुर: आपने बचपन में अक्सर घरों की मुंडेर और आंगन में चहचहाने और फुदकने वाली छोटी सी चिड़िया गौरैया को दाना चुगते देखा होगा. अब यह नन्हीं चिड़िया धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है. इसका मुख्य कारण शहरीकरण, रासायनिक प्रदूषण और रेडिएशन को माना जा रहा है. पिछले 15 सालों में गौरैया की संख्या में 70 से 80 फीसदी तक की कमी आई है. सहारनपुर में पिछले 2 साल से संवेदना मानव कल्याण ट्रस्ट पौधारोपण, गरीबों की मदद और रक्तदान आदि विभिन्न प्रकार के मानव हित के लिए कार्य कर रहा है.

इस बार संवेदना मानव कल्याण संस्था ने पक्षियों को बचाने के लिए एक नई पहल शुरू की है. सबसे पहले पक्षियों में गौरैया को लिया गया है. गौरैया के लिए लकड़ी के छोटे-छोटे घर बनाए जा रहे हैं और उन घरों को लोगों के घरों पर लगाया जा रहा है. इन घरों में गौरैया अपना बसेरा कर रही है. गौरैया (sparrow) पक्षियों के पैसर वंश की एक जीव वैज्ञानिक जाति है जो विश्व के अधिकांश भागों में पाई जाती है.

शुरुआत में यह एशिया, यूरोप और भूमध्य सागर के तटवर्ती क्षेत्रों में पाई जाती थी लेकिन मानवों ने इसे विश्वभर में फैला दिया है. यह इंसानों के आसपास कई स्थानों में रहती हैं और नगर-बस्तियों में भी पायी जाती हैं.

संवेदना मानव कल्याण ट्रस्ट गौरैया के लिए बनवा रही घरसंवेदना मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक विकास पुंडीर ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि गौरैया संरक्षण उनको इसलिए जरूरी लगा क्योंकि जो प्राकृतिक चक्र है उसमें गौरैया का अहम रोल है. हालांकि, धीरे-धीरे गौरैया विलुप्त होती जा रही है जिसका मुख्य कारण मनुष्य खुद हैं. धीरे-धीरे आधुनिकरण होता जा रहा है, मोबाइल टावर सहित तरह-तरह के टावर लग रहे हैं और प्रदूषण बढ़ रहा है. ऐसे अनेकों कारण हैं जिसके कारण गौरैया विलुप्त होती जा रही है.

संवेदना मानव कल्याण ट्रस्ट के लोगों ने गौरैया को बचाने का बनाया प्लानसंवेदना मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक विकास पुंडीर बताते हैं कि धीरे-धीरे खत्म होती जा रही गौरैया को बचाने के लिए उनकी टीम ने मिलकर एक प्लान बनाया कि आखिरकार कैसे गौरैया को बचाया जा सके और पुन: स्थापित किया जा सके. उन्होंने गौरैया को स्थापित करने के लिए लकड़ी के छोटे-छोटे घर बनवाए जिनको प्रत्येक व्यक्ति के घरों पर लगाया जा रहा है जिनमें गौरैया अपना घर बना सकें. इस पहल को शुरू हुए कुछ ही दिन हुए थे कि उन घरों में गौरैया अपना घर बनाने लगी हैं और फिर से घरों में उनकी चहचहाट सुनाई देने लगी है.
Tags: Local18, Saharanpur newsFIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 23:02 IST

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