सौरव पाल/मथुरा: होली एक ऐसा त्योहार है. जिसमें हर कोई अपने दुख-दर्द को भूल कर बस होली के मस्ती के रंग में रंग जाना चाहता है. वहीं अगर होली ब्रज की हो तो फिर उसकी बात ही कुछ और है. ब्रज में होली का रंग पूरे 40 दिनों उड़ता है. इसके अलावा ब्रज की होली में फूलों का प्रयोग भी जम कर होता है और इसी फूलों की होली में उन विधवा माताओं ने भी खुद रंग लिया जो अपनी पति की मौत के बाद सिर्फ बेरंग कपड़े ही पहनती हैं.
वृंदावन के मैत्री घर विधवा आश्रम में अनोखी होली का आयोजन किया गया. जिसमें विधवा माताओं के साथ होली खेलने के लिए ब्रज के संत और सुहागन महिलाएं भी शामिल हुई. आश्रय सदनों में रह रहीं विधवा और बेसहारा माताओं ने रंगों की होली खेल अपने बेरंग जीवन में रंग भरने का प्रयास किया. इस होली के दौरान विधवा और बेसहारा माताओं का उत्साह उनकी खुशी का इजहार कर रहा था
10 साल से हो रहा होली का विशेष आयोजनआश्रम की प्रबंधक विनी सिंह ने बताया कि इस होली का आयोजन करीब 10 साल से इस आश्रम में किया जा रहा है. इसके पीछे का मकसद यह कि जिन विधवाओं को समाज एक अलग नजरिये से देखता है, साथ ही खुशी के मौकों पर समाज उनका बहिष्कार भी कर देता है. इसी सोच को बदलने के लिए और इन विधवा माताओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए इस होली का आयोजन किया जाता है. विधवा माताओं के साथ होली खेलने के लिए ब्रज के संत और सुहागन महिलाएं भी शामिल हुई. जिन विधवा महिलाओं का परिवेश सफेद साड़ी में था, वो होली के दौरान एक-दूसरे पर रंग बिखेरतीं नजर आईं
समय के साथ दूर हुई झिझकविनी सिंह ने बताया कि जब यह होली शुरू की गई थी तब इन माताओं को भी होली खेलने में झिझक होती थी, कई साल तक इन महिलाओं ने किसी भी त्योहार को इतने उत्साह और उमंग के साथ नहीं मनाया था. लेकिन धीरे-धीरे इनके बर्ताव में भी परिवर्तन आया और अब इस आश्रम में मौजूद सभी 92 माताएं होली की सारी तैयारियां ख़ुद ही करती हैं. इस बार करीब 100 किलो फूलों से होली खेली गई.
.Tags: Local18, Mathura news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : March 17, 2024, 20:45 IST
Source link