लखनऊ : उत्तर प्रदेश कांग्रेस द्वारा बुधवार को राजधानी में किए गए विरोध प्रदर्शन के बीच एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है. कांग्रेस पार्टी के विधानसभा घेराव में एक कांग्रेस कार्यकर्ता की मौत की बात कही जा रही है. कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी का दावा है कि प्रदर्शन के दौरान चोट लगने से इस कार्यकर्ता की मौत हुई है. यह प्रदर्शन में शामिल होने गोरखपुर से आया था, उसका शव सिविल अस्पताल में रखवाया गया है. इस हादसे के बाद से कांग्रेस कार्यकर्ता आक्रोशित हैं और सिविल अस्पताल पर भीड़ जुटना शुरू हो गई है. कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि प्रदर्शन को रोकने के लिए सरकार ने नुकीली कीलें लगवाई थीं.
उधर, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का आरोप है कि पुलिस, प्रशासन की मिस हैंडलिंग से कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे की मौत हुई है. उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि पुलिस ने मेरा और कई कार्यकर्ताओं का गला दबाया. इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. हमारी राहों में कंटीले तार बिछाए गए. पोस्टमार्टम से प्रभात की मौत की वजह साफ होगी. कांग्रेस मुख्यालय में बेहोशी की हालत में प्रभात पांडे था.
वहीं, कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और कई अन्य पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को विधानसभा का घेराव करने के लिए आयोजित विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिया गया. उत्तर प्रदेश कांग्रेस द्वारा किसान संकट, बेरोजगारी, महंगाई, निजीकरण और कानून व्यवस्था समेत कई मुद्दों को लेकर राज्य विधानसभा का घेराव किया जाना था. विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर बुधवार को सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए.
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को विरोध स्थल तक पहुंचने से रोकने के लिए विधानसभा के चारों ओर बैरिकेड लगाए गए, जबकि मार्ग में परिवर्तन के कारण लखनऊ के बीचों-बीच यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ. अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू है और राज्य विधानसभा का सत्र चल रहा है, ऐसे में किसी को भी आदेशों का उल्लंघन नहीं करने दिया जाएगा.
विधानसभा की ओर जाने वाली सड़कों पर अवरोधक लगा दिए गए हैं और मॉल एवेन्यू क्षेत्र में कांग्रेस कार्यालय के बाहर पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं.
पुलिस ने लखनऊ में लागू प्रतिबंधों का हवाला देते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पार्टी के मॉल एवेन्यू कार्यालय से आगे नहीं बढ़ने दिया. कार्यालय से बाहर निकले कार्यकर्ताओं ने बैरिकेड तोड़कर विधानसभा तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन वहां तैनात भारी पुलिस बल ने उन्हें रोक दिया.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय, पार्टी के उप्र प्रभारी अविनाश पांडे और अन्य नेताओं ने पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी. कांग्रेस कार्यालय के बाहर करीब चार घंटे तक कार्रवाई जारी रही, जिसके बाद पुलिस ने राय, पांडे और अन्य नेताओं को हिरासत में ले लिया.
हिरासत में लिए जाने के बाद राय ने बस से संवाददाताओं से कहा, “हम 2027 में योगी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकेंगे.” उन्होंने संभल हिंसा को लेकर राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की आलोचना की.
राय और पांडे ने मॉल एवेन्यू स्थित पार्टी कार्यालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व किया, जबकि वरिष्ठ विधायक और कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की नेता आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने राज्य विधानसभा में यह मामला उठाया. उन्होंने आरोप लगाया कि “सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही है” और लोगों की आवाज दबा रही है.
मिश्रा ने दावा किया कि पुलिस प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई कर रही है. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा, “आपके पास (सीएलपी नेता होने के नाते) बहुत सारे विशेषाधिकार हैं, लेकिन आपको विधानसभा (कार्यवाही) को हाईजैक करने का विशेषाधिकार नहीं है. आप जहां चाहें वहां जाने के लिए स्वतंत्र हैं और मैं देखूंगा कि आपको कौन रोकता है.”
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा, “आज विरोध-प्रदर्शन किस लिए है? वे (कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता) अनावश्यक रूप से अराजकता फैला रहे हैं.”
वहीं, विधानसभा में विपक्ष के नेता और समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक माता प्रसाद पांडे ने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को विरोध करने का अधिकार है और सरकार लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए हथकंडे अपना रही है. पांडे ने कहा, “जब हम संभल जाना चाहते थे, तो हमें वहां जाने की अनुमति नहीं दी गई.”
बाद में मिश्रा ने विधानसभा के बाहर से कहा, “कांग्रेस चाहती है कि सरकार अराजकता, सांप्रदायिक अशांति, निजीकरण, बेरोजगारी और मुद्रास्फीति जैसे प्रमुख मुद्दों के लिए जवाबदेह हो, जो खतरनाक स्तर पर पहुंच गए हैं. एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में, जवाबदेही की मांग करना न केवल हमारा अधिकार है, बल्कि हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है.” उन्होंने कहा, “लेकिन देखिए क्या हो रहा है. हमारे पार्टी कार्यालयों पर छापे मारे जा रहे हैं. हमें शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन से रोकने के लिए बैरिकेड और कंटीले तार लगाए जा रहे हैं. क्या यही लोकतंत्र है? अब शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन भी दमन का सामना कर रहे हैं. यह बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.”
विरोध के बीच कार्यकर्ताओं ने जबरन हिरासत में लिए जाने की घटनाओं की सूचना दी. लखीमपुर-खीरी के एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने कहा, “मैं अपने पैर में चोट के बावजूद विरोध में शामिल हुआ, लेकिन पुलिस ने मुझे जबरन बस में डाल दिया.” हिरासत में लिए गए एक अन्य कार्यकर्ता ने निराशा जताई और कहा, “कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जबरदस्ती रोका जा रहा है. हमें विधानसभा की ओर मार्च करने की अनुमति नहीं दी जा रही है. इससे साफ पता चलता है कि इस लोकतंत्र में शांतिपूर्ण प्रदर्शन की भी इजाजत नहीं है. भाजपा सरकार इतनी डरी हुई है कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन बर्दाश्त नहीं कर सकती.”
घेराव के बारे में पूछे जाने पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि यह योजना सिर्फ अखबारों की सुर्खियां बटोरने के लिए बनाई गई है और कांग्रेस का लोगों से कोई जुड़ाव नहीं है. पाठक ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ”गलत कामों से घिरी हुई है और उसके कार्यकर्ता दिशाहीन हैं.” उन्होंने दावा किया कि घेराव ‘फ्लॉप शो’ साबित होगा. पाठक ने कहा, ”2017 के बाद राज्य अपने सर्वांगीण विकास के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है. पूरे राज्य की जनता का मानना है कि सरकार ने उत्तर प्रदेश को देश में नंबर एक स्थान पर लाने का काम किया है. कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है.”
FIRST PUBLISHED : December 18, 2024, 18:54 IST