Last Updated:April 08, 2025, 11:09 ISTMathura News: इंजीनियर अमित सिंह ने लाखों की नौकरी छोड़कर वृंदावन में राधा कृष्ण की भक्ति में जीवन समर्पित कर दिया. अब वे भक्ति वेदांत दामोदर के नाम से जाने जाते हैं और सनातन धर्म का प्रचार करते हैं.X
विदेश से नौकरी छोड़ वृन्दावन चला आया युवक हाइलाइट्सविदेश में इंजीनियर की नौकरी छोड़कर बने संन्यासी.वृंदावन में रहकर राधा कृष्ण की भक्ति में लीन.सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हैं भक्ति वेदांत दामोदर.निर्मल कुमार राजपूत /मथुरा : भगवान की भक्ति का रस जिस पर एक बार चढ़ जाता है, वह भक्त अपनी सारी सुध छोड़कर भगवान की भक्ति में लग जाता है. वह भगवान का हो जाता है. ऐसी ही एक कहानी है, विदेश में नौकरी करने वाले एक इंजीनियर की, जो लाखों रुपए महीने के पैकेज को ठुकराकर योगीराज श्री कृष्ण की भक्ति में रम गया. आज वृंदावन में रहकर वह राधा कृष्ण जाप कर रहा है.
इंजीनियर की नौकरी छोड़कर यहां आकर बस गया
कहते हैं जिस पर कृपा राम की होये उस पर कृपा करें, सब कोई. यह कहावत बहुत सटीक बैठती है एक ऐसे संत पर, जो सब कुछ त्याग कर सब सुख सुविधाओं को छोड़कर राधा कृष्ण की भक्ति में डूबे हुए हैं. वृंदावन में रहकर वह राधा नाम स्मरण करते हैं. अपने जीवन की शुरुआत अपने दिन की शुरुआत राधा नाम से करते हैं. वह सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए लगे हुए हैं. वह मथुरा ही नहीं बल्कि बाहर भी जाकर कॉलेज, इंस्टिट्यूट और यूनिवर्सिटी में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हैं. वह लोगों के साथ साथ स्कूल, कॉलेज के छात्र-छात्राओं को बताते हैं कि सनातन धर्म का कैसे पतन करने से रोका जा सकता है. भक्ति वेदांत दामोदर नाम के इस संत से जब लोकल 18 की टीम ने बात की, तो उन्होंने अपने जीवन के उतार-चढ़ाव के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उनका पहले का नाम अमित सिंह था और अब हम भक्ति वेदांत दामोदर के नाम से जाने जाते हैं. इंजीनियर बाबा ने यह भी बताया कि उनके पिता एक एनजीओ में कार्य करते थे और उनकी मां एक आंगनवाड़ी में कार्यकत्री हैं. इंजीनियर बाबा ने यह भी बताया कि उनका एक छोटा भाई है उसके बच्चे भी हैं.
लखनऊ में हुआ था जन्म, प्राथमिक और उच्च शिक्षाएं
लोकल 18 की टीम ने जब उनसे उनकी प्रारंभिक शिक्षा के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने बताया कि उनकी प्राइमरी शिक्षा लखनऊ से हुई. हाई स्कूल उन्होंने 2004 में किया. इंटर उन्होंने 2006 में किया. इसके साथ-साथ 2006 से 2010 तक उनका इंजीनियरिंग बैच रहा. आगे बताते हुए इंजीनियर बाबा ने बताया कि 2010 से 2015 तक का उनका जो सफर है वह नौकरी का रहा. वह पोलैंड चले गए. 3 साल के वीजा पर लेकिन उनका 3 महीने में ही मन वहां से विचलित हो गया. वह वृंदावन सब कुछ छोड़कर चले आए. कृष्ण की भक्ति में रमे रहते हैं. कृष्ण नाम रटते रहते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें कृष्ण नाम से आनंद की प्राप्ति होती है. आनंद कृष्ण का नाम है. कृष्ण जहां व्याप्त हैं, कृष्ण जहां विराजमान है. वहीं आनंद की प्राप्ति होती है. इंजीनियर बाबा ने यह भी बताया कि पोलैंड में वह ढाई लाख रुपए महीने कमाते थे. लेकिन कृष्ण की भक्ति का रस, कृष्ण की भक्ति का खुमार जब उन पर चढ़ गया तो वह सब कुछ छोड़कर वृंदावन चले आए. यहां रहकर कृष्ण की भक्ति में आनंदित रहते हैं.
सनातन के प्रचार प्रसार के लिए लगे हुए हैं संन्यासी
भक्ति वेदांत दामोदर ने यह भी बताया कि जिस तरह से हमारे हिंदू संस्कृति- सनातन धर्म का पतन किया जा रहा है. हम उससे बेहद आहत हुए. हमें जो पढ़ाया गया, हम उस मार्ग पर चल रहे हैं. भगवान की भक्ति के साथ-साथ हम स्कूल कॉलेज और इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी के अंदर लोगों को सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने के साथ-साथ सनातन को आगे बढ़ने का प्रयास करते रहते हैं. भक्ति वेदांत दामोदर से जब यह सवाल किया कि उन्हें कभी परिवार की याद नहीं आती है, तो उन्होंने बताया कि ब्रज में रहकर परिवार की याद नहीं आती. क्योंकि यहां हम जब मधुकरी करने जाते हैं, तो ब्रज की हर गली में मां बैठी है.
Location :Mathura,Uttar PradeshFirst Published :April 08, 2025, 11:03 ISThomeuttar-pradeshविदेश में थे इंजीनियर, लाखों मिलती थी सैलरी, छोड़कर बन गए संयासी