स्तन और पेट के कैंसर की तरह ही, ओवेरियन कैंसर का भी शुरुआती चरण में पता लगाना बेहद मुश्किल होता है. यही वजह है कि इस बीमारी से पीड़ित महिलाओं की जीवित रहने की दर केवल 35 प्रतिशत है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके माध्यम से यूरीज टेस्ट द्वारा ओवेरियन कैंसर का पहले स्टेज में पता लगाना संभव हो सकता है.
अमेरिका में वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता, जोसेफ रेनर और उनकी टीम ने इस तकनीक पर रिसर्च किया है. उन्होंने पाया कि ओवेरियन कैंसर से पीड़ित महिलाओं के यूरीन में कुछ विशिष्ट पेप्टाइड्स (छोटे प्रोटीन) होते हैं. इन पेप्टाइड्स का पता लगाकर, कैंसर का पहले स्टेज में ही पता लगाया जा सकता है.
शोधकर्ताओं का दावा है कि यह तकनीक 90% तक सटीक है. यदि यह तकनीक सफल हो जाती है, तो यह ओवेरियन कैंसर से पीड़ित महिलाओं को बीमारी से बचाने की दर में काफी वृद्धि हो सकती है.
शोधकर्ता का बयानशोधकर्ता रेनर ने कहा कि जब कैंसर का शुरुआती चरण में पता चल जाता है तो पांच साल की जीवित रहने की दर में 50-75 प्रतिशत का सुधार होता है. उनका अंतिम लक्ष्य एक ऐसा टेस्ट विकसित करना है जो सीए-125 ब्लड टेस्ट. ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड और भविष्य में प्रारंभिक चरण के ओवेरियन कैंसर का पता लगाने की सटीकता में सुधार कर सके.
यह तकनीक अभी भी प्रारंभिक चरण में है और इसे व्यापक रूप से इस्तेमाल करने से पहले और अधिक शोध की आवश्यकता है. लेकिन यह ओवेरियन कैंसर से लड़ने में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.
ओवेरियन कैंसर के लक्षणपेट में दर्द या सूजन, पेट फूलना, भूख न लगना, बार-बार पेशाब आना, थकान, वजन कम होना, कब्ज और पेट में तरल पदार्थ का जमा होना
ओवेरियन कैंसर से बचावनियमित रूप से व्यायाम करें, हेल्दी डाइट खाएं, धूम्रपान न करें, गर्भनिरोधक गोलियां न लें, स्तनपान कराएं और नियमित रूप से जांच कराएं.
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