विशाल झागाज़ियाबाद.‘Listen to people but obey to your conscience’. अंग्रेजी की इस कहावत का मतलब है सुन सबकी, कर मन की. इसका मतलब है की आपको हमेशा अपनी मन की आवाज सुननी चाहिए. ये जरुरी नहीं की जिसकी आपने डिग्री ली हो आप उसी में अपना भविष्य बनाए. आपकी इच्छा अनुसार आप परिश्रम करके वह सारे मुकाम हासिल कर सकते हैं जो आप चाहते है.
कुछ ऐसी ही कहानी है प्रयागराज में जन्मे प्रखर पांडे की. शुरू से ही अपने आप को अधिकारी की तरह ट्रीट करते थे. ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि प्रखर बचपन से एक आधिकारिक माहौल में पले बढ़े थे. उनके पिता स्वर्गीय आर. एन. पांडे मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर में चीफ टेक्निकल ऑफीसर के तौर पर रिटायर हुए थे. प्रखर अपने पिता को अपना सुपर हीरो मानते है. समय की कीमत हो या कड़े परिश्रम का मार्गदर्शन करना यह सब प्रखर के पिता उन्हें बखूबी सिखाते थे.
तहसीलदार प्रखर पांडे बने DSPप्रखर पांडे का कर्नाटक पीसीएस में तीन विभिन्न पोस्ट पर चयन हो चुका है. वर्ष 2020 में पहली बार प्रखंड में यूपीपीसीएस का एग्जाम दिया. जिसके बाद फर्स्ट अटेम्प्ट फर्स्ट विन का अवसर उन्हें मिला और वह तहसीलदार के पद पर तैनात हो गए. 2022 में उन्होंने फिर UPPSC की परीक्षा दी और UPPSC डीसीपी में उन्हें प्रथम स्थान हासिल हुआ.
देश का सबसे खराब इंजीनियर बन गया डीएसपी साहबNews 18 Local को इंटरव्यू देते हुए प्रखर पांडे ने बताया कि उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई तो कर ली लेकिन मन बिल्कुल भी इंजीनियर बनने का नहीं था. अगर आज वह इंजीनियर होते तो बेहद ही खराब इंजीनियर होते. अधिकारी जीवन से लगाव होने के कारण प्रखर परीक्षाओं की तैयारी में जुट गए जिस कारण से 22 साल की उम्र में ही उन्हें गृह मंत्रालय में सरकारी नौकरी भी मिली.
अधिकारी नहीं होते तो क्या होतेप्रखर ने बताया कि अगर किसी भी परीक्षा में उनका चयन नहीं होता और वो अधिकारी नहीं बन पाते तो वो एक अच्छे शिक्षक होते. क्योंकि उन्हें पढ़ाने का बहुत शौक है. वो अगर खुद भी परीक्षा की तैयारी करते थे तो दूसरों को पढ़ाते-पढ़ाते ही. इंजीनियरिंग की डिग्री उन्होंने जरुर ली पर मन लोकसेवा से ही जुड़ा रहा.
अब तहसीलदार साहब नहीं डीएसपी साहब बुलाएंगे लोगप्रखर बताते है कि जब बतौर तहसीलदार उनका चयन हुआ तो वो काफी खुश थे. क्योंकि जनता से सीधा संपर्क उनका था. कई बार प्रखर जनता की पीढ़ा सुन भावुक भी हुए. सर्दियों का किस्सा बताते हुए उन्होंने कहा कि जब प्रशासनिक टीम द्वारा कंबल वितरित किए गए तो वो पल काफी भावुक था. इन चीजों को मैं याद करूंगा. अब पुलिसिंग का विभाग मिला है तो ये मेरे लिए बिलकुल नया तजुर्बा होगा.
क्या टॉप आने के लिए लक भी जरुरी होता?प्रखर ने प्रथम रैंक हासिल की है. हमारी टीम ने सवाल पूछा कि क्या टॉप आने के लिए लक भी काम करता है. तब प्रखर ने कहा कि आपकी प्राथमिकता अपनी मेहनत पर होनी चाहिए. मैं यकीन करता हूं कि कर्म ही सब कुछ है तो 99% मेहनत और 1% लक. क्योंकि अच्छे भाग्य के बिना भी काफी सारी चीजें रुक जाती है.
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