UP: योगी सरकार अब ‘अचल ताल’ का कराएगी जीर्णोद्धार, जानिए 5 हजार साल पुराना इतिहास

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UP: योगी सरकार अब 'अचल ताल' का कराएगी जीर्णोद्धार, जानिए 5 हजार साल पुराना इतिहास



रिपोर्ट- वसीम अहमद
अलीगढ़: हजारों-सैकड़ों सालों की उपेक्षा के बाद अब फिर से प्रदेश के मंदिरों और जलाशयों का योगी सरकार जीर्णोद्धार करवा रही है. इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट योजना चलाई जा रही है. हजारों साल का इतिहास समेटे अचल ताल के सौंदर्यीकरण के लिए भी यूपी सरकार करीब 28 करोड़ रुपये खर्च कर रही है.
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अलीगढ़ जिले के अचल ताल का सौंदर्यीकरण करवा जा रहा है. वैसे तो अचल ताल करीब 500 साल पुराना है. लेकिन इसका उल्लेख महाभारत में भी पढ़ने को मिलता है.स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अचल ताल का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. जिसकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को सौंपी गई है.
जानिए अचल ताल का इतिहास?NEWS 18 LOCAL से बात करते हुए. महंत योगी कौशल नाथ ने बताया कि अचल ताल का इतिहास करीब 5000 हजार साल पुराना है. महाभारत काल के दौरान यहां दो पांडवों नकुल और सहदेव ने शिवरात्रि के समय स्नान किया था. इसका जल इतना शुद्ध था की जो कोई व्यक्ति भी इसमें स्नान कर लेता था, उसको त्वचा संबंधित रोगों से मुक्ति मिल जाती थी. लेकिन साल दर साल इसकी पौराणिकता और महत्ता कम होती गई. मुगल काल और उसके बार तो इसकी हालत और भी खराब हो गई. पानी काफी दूषित हो गया था.
हालांकि वर्ष 2015 में अचल सरोवर में एक विशाल सफाई अभियान चलाया गया. लेकिन अब सरकार द्वारा चयन स्मार्ट सिटी योजना के तहत जयन कर इसका सौंदर्यीकरण कराया जा रहा है. जिसके कारण ये उम्मीद लगाई जा रही है कि, आगामी भविष्य में अचल ताल अलीगढ़ में एक प्रसिद्ध धरोवर के रूप में जाना और देखा जायेगा.
ताल के बीच में स्थापित है शिव प्रतिमाइंजीनियर योगेंद्र सिंह बताते है कि, अचल सरोवर के ठीक बीचों बीच में गुमटी पर 20 फुट ऊंची शिव प्रतिमा स्थापित कि गई है. इसके चारों ओर फव्वारे लगाए गए हैं. 510 मीटर का एलिवेटर परिक्रमा मार्ग, आरती घाट, और जेआरसी के कार्य से इसकी सुंदरता में चार चांद लगाए जा रहे हैं. इतना ही नहीं निर्माण कार्य पूरा होने के बाद घाट से नौकायन हो सकता है. कैंटीन, तुलसी वाटिका, हवन कुंड के साथ लाइट एंड साउंड शो भी बनाया जाएगा. ताकि शाम को यहां आने वाले दर्शक मथुर संगीत भी सुन सकें.
वहीं योगेंद्र सिंह के अनुसार इस कार्य को 31 अक्टूबर 2022 तक पूरा कर लिया जायेगा. शहर के ठीक बीच में ये एक रमणीय स्थल के रूप में उभर कर सामने आएगा. मछली और जलीय जीवों को बेहतर वातावरण देने के लिए एयरवेटर लगाए गए हैं.
आसपास दुकानें बना कर राजस्व की व्यवस्था भी कि गई है. जिससे इसकी देखभाल का खर्च नौकायन, दुकानों के किराये और दूसरे सामाजिक कार्यक्रमों से मिल सकें.
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