UP Upchunav: करहल उपचुनाव पर आगरा के सांसद ने अखिलेश यादव को घेरा, कहां- कोई भी सीट पुश्तैनी नहीं होती

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UP Upchunav: करहल उपचुनाव पर आगरा के सांसद ने अखिलेश यादव को घेरा, कहां- कोई भी सीट पुश्तैनी नहीं होती

हरिकांत शर्मा/ आगरा: उत्तर प्रदेश के करहल विधानसभा उपचुनाव में सियासी माहौल गर्म हो गया है, जहां अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद यह सीट अब उपचुनाव की ओर बढ़ रही है. इस बार सपा और भाजपा के बीच करहल की यह सीट यादव समुदाय के वोटों पर विशेष ध्यान आकर्षित कर रही है. करहल सीट की अहमियत इस कदर है कि इसे यूपी उपचुनाव की “हॉट सीट” के रूप में देखा जा रहा है.

अखिलेश के भाई-भतीजावाद बनाम भाजपा का जातीय दांवसपा ने इस बार अपने भतीजे तेजप्रताप यादव को मैदान में उतारकर करहल में यादव वोट बैंक को सुरक्षित करने की कोशिश की है. भाजपा ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए अखिलेश यादव के रिश्तेदार अनुजेश यादव को मैदान में उतारा है. 2002 के बाद यह दूसरी बार है जब भाजपा ने यादव चेहरे पर दांव खेला है. 2002 में सोवरन सिंह यादव ने भाजपा के लिए इस सीट पर पहली जीत दर्ज की थी, जो बाद में सपा में शामिल हो गए.

भाजपा के एसपी सिंह बघेल के बेबाक बयानकेंद्रीय राज्य मंत्री और आगरा के सांसद एसपी सिंह बघेल, जो 2022 के विधानसभा चुनावों में भी करहल सीट से भाजपा प्रत्याशी थे, वह अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर हैं. बघेल ने अखिलेश यादव को “पुश्तैनी सीट” के दावे को चुनौती देते हुए कहा कि लोकतंत्र में कोई भी सीट किसी की पारिवारिक संपत्ति नहीं होती, और जनता ही चुनावों में विजेता तय करती है. बघेल का कहना है कि 2022 में अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार के प्रति उनके आत्मविश्वास को उन्होंने चुनौती देकर करहल में उतरने के लिए मजबूर कर दिया था.

जातीय समीकरणों में उलझी सियासतकरहल सीट पर जातीय समीकरण सपा के पक्ष में माने जाते हैं. यहां लगभग 1.25 लाख यादव मतदाता हैं, जो इस सीट की राजनीति का मुख्य धुरी हैं. इनके अलावा 40 हजार शाक्य मतदाता, 30-30 हजार क्षत्रिय और जाटव, 25 से 30 हजार पाल-धनगर, 15-15 हजार ब्राह्मण और मुसलमान मतदाता भी इस चुनाव में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं. भाजपा ने यादव चेहरे को उतारकर इन समीकरणों में सेंध लगाने की कोशिश की है, जबकि सपा इस जनाधार को अपनी पारंपरिक पकड़ मानती है.

2027 की बुनियाद बना रहा है सपाअखिलेश यादव इस उपचुनाव को 2027 के विधानसभा चुनावों की बुनियाद मान रहे हैं और इसे सत्ता में लौटने का रास्ता मानते हैं. करहल की सीट उनके लिए न केवल एक राजनीतिक चुनौती है, बल्कि सपा के मजबूत जनाधार का प्रतीक भी. वहीं, भाजपा इस उपचुनाव को आगामी चुनावों के लिए एक रणनीतिक रूप में देख रही है, जहां जातीय समीकरण साधकर करहल की गढ़ को हिलाने की योजना है.
Tags: Agra news, Ground Report, Local18FIRST PUBLISHED : October 28, 2024, 10:32 IST

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