UP Nikay Chunav 2023: इटावा में बीजेपी के साथ-साथ बागी भी दे रहे सपा को चुनौती, मुकाबला हुआ दिलचस्प

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UP Nikay Chunav 2023: इटावा में बीजेपी के साथ-साथ बागी भी दे रहे सपा को चुनौती, मुकाबला हुआ दिलचस्प



हाइलाइट्सनाराज सपा नेता बसपा से टिकट लेकर चुनाव मैदान में उतर गए हैंसपा को सीधे-सीधे बीजेपी से तो लड़ना है ही, लेकिन उसे अपनों से भी जूझना हैइटावा. निकाय चुनाव में नामांकन पत्र भरे जाने और उनकी जांच का काम पूरा हो जाने के बाद अब यह तय हो गया है कि किस निकाय में कितने प्रत्याशी चुनाव मैदान में रह गए हैं. इटावा जिले के सभी 6 निकायों में समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही मुकाबला माना जा रहा है, लेकिन  सपा के साथ समस्या यह है कि उसे बीजेपी के साथ-साथ अपनों से भी जूझना पड़ेगा. कई निकायों के चेयरमैन पद पर टिकट बदले जाने और टिकट न दिए जाने से नाराज सपा नेता बसपा से टिकट लेकर चुनाव मैदान में उतर गए हैं. इसके चलते स्थिति यह है कि चुनाव में समाजवादी पार्टी को सीधे-सीधे भारतीय जनता पार्टी से तो लड़ना है ही, लेकिन उसे अपनों से भी जूझना है.

इटावा में दूसरे चरण में निकाय के चुनाव कराए जा रहे हैं. इसके लिए नामांकन पत्र भरे जाने का काम 24 अप्रैल को पूरा हो गया था और 25 अप्रैल को इन सभी भरे गए नामांकन पत्रों की जांच भी कर ली गई. इसके बाद मुख्य रूप से सपा, बीजेपी और बसपा के प्रत्याशी चुनाव मैदान में रह गए. इनमें से जो बसपा के प्रत्याशी हैं, अधिकांश सपा के बागी हैं. इटावा सदर नगर पालिका में समाजवादी पार्टी ने पहले इदरीस अंसारी की पुत्रवधू गुलनाज को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन अंतिम समय में उनका टिकट काट दिया गया. इससे नाराज होकर गुलनाज ने साइकिल छोड़कर हाथी की सवारी कर ली और अब वे बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं. 2 दिन पहले जो सपा की जीत के दावे कर रहे थे अब बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं.

ऐसी ही स्थिति नगर पंचायत लखना और नगर पालिका भरथना में भी है. नगर पंचायत लखना में समाजवादी पार्टी ने पहले सतीश चंद्र वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन 24 घंटे बाद ही उनका टिकट काट दिया गया और प्रदीप तिवारी को चुनाव मैदान में उतार दिया. टिकट कटने से नाराज सतीश चंद्र वर्मा बहुजन समाज पार्टी में चले गए और बसपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया. अब यहां सपा को बीजेपी प्रत्याशी के साथ ही अपने पुराने नेता से भी लड़ना पड़ेगा. नगर पालिका भरथना में पूर्व चेयरमैन मनोज पोरवाल अपनी पुत्रवधू वर्तिका गुप्ता के लिए समाजवादी पार्टी से टिकट मांग रहे थे, लेकिन समाजवादी पार्टी ने यहां से अजय यादव गुल्लू को अपना प्रत्याशी बनाया. इससे नाराज होकर मनोज पोरवाल ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी और अब उनकी पुत्रवधू वर्तिका गुप्ता बीएसपी से प्रत्याशी हैं. यहां भी सपा को बीजेपी प्रत्याशी के साथ ही अपने पुराने नेता से भी चुनाव लड़ना पड़ेगा.

कुल मिलाकर निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी को एक नहीं दो दो मोर्चों पर जूझना पड़ेगा. एक तरफ उन्हें भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी से लड़ना है और दूसरी तरफ अपने ही विद्रोही हो चुके नेताओं के साथ भी संघर्ष करना है जो अब बहुजन समाज पार्टी पार्टी पार्टी का टिकट लेकर चुनाव मैदान में कूद गए हैं. इटावा में निकाय चुनाव को लेकर पिछले सालों में कई दिलचस्प आंकड़े सामने आए हैं. ऐसा ही एक मामला सदर नगरपालिका का था जब एक निर्दलीय प्रत्याशी ने राजनीतिक दलों की जीत हार का गणित बिगाड़ दिया था.  शुरू में जो लोग इस निर्दलीय प्रत्याशी को हल्के में ले रहे थे बाद में उन्हीं को खामियाजा भुगतना पड़ा। हालांकि इस बार एक भी निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं है.
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