रिपोर्ट: आदित्य कुमार
नोएडा. जिला गौतमबुद्ध नगर में एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनने जा रहा है. यह एयरपोर्ट बहुत खास बनने जा रहा है. इसमें ऐसी तकनीक और डिजाइन बनाए जा रहे हैं. जो विश्व के चुनिंदा एयरपोर्ट में मिलते हैं. यहां पर यात्रियों के समय को बचाने के लिए भी खास तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जो कि विश्व के कुछ ही एयरपोर्ट पर मिलती है.
जेवर एयरपोर्ट का निर्माण ज्यूरिख (स्विट्जरलैंड का एक शहर) की एक कंपनी टाटा के साथ मिलकर कर रही है. इन दोनों कंपनियों ने एक अन्य कंपनी के साथ करार किया है. जो यात्रियों के समय को बचाने के लिए विशेष तरह के इक्यूपमेंट प्रदान करेगा. जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के सीईओ क्रिस्टोफ स्नलमान ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि हमने सीमेंस लॉजिस्टिक्स के साथ करार किया है. सीमेंस वेरियोट्रे बैगेज हैंडलिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जोकि सबसे उत्तम तकनीक है. इस तकनीक में लाइव सिक्योरिटी चेक की जाती है. यह सिस्टम विश्व के कुछ ही एयरपोर्ट पर लगाए गए हैं.
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क्यों है खास यह सिस्टमक्रिस्टोफ स्नलमान बताते हैं कि जब एयरपोर्ट पर प्लेन से लोग उतरते हैं. तो आपका सामान भी आता है. कई बार सामान को वापस लेने के लिए काफी समय लग जाता है. यही स्थिति चेक इन के समय भी होती है. यह गति अगर तेज हो जाए तो स्थिति अनरेस्ट वाली नहीं होती. सीमेंस वेरियोट्रे बैगेज हैंडलिंग इसी प्रोसेस को फास्ट करता है. इस व्यवस्था में बैग आने की गति दस मीटर प्रति सेकंड होती है. यानी एक मिनट में 600 मीटर जो कि पुराने विधि से दो गुना ज्यादा है. वो बताते हैं कि दुबई, पेरिस, बीजिंग इत्यादि स्थान पर यह सिस्टम पहले से ही लागू है. उल्लेखनीय है कि 25 नवंबर 2021 में जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास किया था. अब 2023 में पहली उड़ान भरने की तैयारी यहां से है.
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