रिपोर्ट: चंदन सैनी
मथुरा. मथुरा से करीब 10 किलोमीटर दूर NH-2 हाईवे के समीप मौजूद है ध्रुव टीला. आपको बता दें मथुरा के गांव महोली स्थित ध्रुव टीला काफी प्राचीन है जिसकी लंबाई करीब 200 फिट और ऊंचाई करीब 70 फिट है. बताया जाता है कि ध्रुव जी महाराज नारद मुनि के कहने पर यहां आए थे, यहां आकर उन्होंने यहां 5 वर्ष की अवस्था में तपस्या की थी. उन्होंने ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप किया था. 5 साल की आयु में ही ध्रुव महाराज ने इस स्थान पर बैठकर भगवान विष्णु की 6 महीने तक कठोर तपस्या की जिससे भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उनको दर्शन दिए थे.
मंदिर सेवायत संजीव उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि यहां चारों युगों का स्थान है. जब भगवान श्री कृष्ण और राम जी का अवतार नहीं हुआ था यह उससे भी पुराना स्थान है. यह स्थान तपोस्थली कहा जाता है. यहां चारों युगों के भगवान आए थे और सभी ने यहां अनेकों लीलाएं की हैं. आज भी यहां लोग दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं. इस स्थान को मधुबन के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही उनका कहना है कि जिस तरीके से यहां ध्रुव जी की मनोकामना पूर्ण हुई थी. उसी तरह से यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है.
यहां ध्रुव जी ने भले ही भगवान की तपस्या की हो लेकिन ध्रुव जी भगवान विष्णु के दर्शन नहीं किए थे बल्कि भगवान विष्णु खुद ध्रुव जी के दर्शन करने के लिए इस स्थान पर आए थे. उन्होंने सोचा कि मैं ऐसे भक्तों के दर्शन करना चाहूंगा जो 5 वर्ष की उम्र में एक पैर पर खड़े होकर मेरी तपस्या कर रहा है. यह मंदिर लाखों वर्ष पुराना है जिसका इतिहास श्रीमद्भागवत के साथ-साथ अन्य कई ग्रंथों में भी देखने को मिल जाएगा.
कहा जाता है कि इस मंदिर का नाम ध्रुव टीला इसलिए पड़ा क्योंकि ध्रुव जी ने यहां 5 साल की उम्र में तपस्या की थी. 6 महीने की तपस्या के बाद भगवान नारायण ने उन्हें दर्शन दिए. यहां एक अरब 84 करोड़ 32 लाख वर्ष पहले ध्रुव जी महाराज यहां आए थे.
यह संसार में सबसे प्राचीन टीला माना जाता है ऐसा भी कहा जाता है कि 84 कोसी परिक्रमा का पहला पड़ाव यहीं से शुरू होता है.
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