नई दिल्ली/ममता त्रिपाठी. यूपी का सियासी रण अपना आधा सफर पूरा कर चुका है. पश्चिम बुंदेलखंड और अवध के बाद पूर्वांचल की चुनावी लड़ाई का मैदान सज चुका है. सारे दिग्गज नेता पूर्वांचल की जमीन से हर दिन ललकार रहे हैं और रणनीतियां बन रहीं हैं कि कैसे विपक्षी दलों को धूल चटायी जाए. 27 फरवरी को पांचवें चरण का मतदान होना है. आपको बता दें कि पांचवें चरण में 12 जिले और रायबरेली की दो सीटों सहित कुल 60 सीटों पर 27 फरवरी को मतदान होना है, जिसमें कुल 624 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.
बीजेपी ने 2017 में मोदी लहर में इन 60 सीटों में से 50 सीटों पर कब्जा किया था. 2 सीट पर गठबंधन घटक दल अपना दल ने जीत हासिल की थी, जबकि समाजवादी पार्टी को 5, कांग्रेस को 1 और 2 निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे. वहीं, 2012 में समाजवादी पार्टी को 41 सीटों पर जीत मिली थी. श्रावस्ती, बहराइच, बाराबंकी, गोंडा, अयोध्या, अमेठी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, चित्रकूट और प्रयागराज में पांचवें चरण में वोटिंग होनी है.
इस चरण की खासियत ये है कि इसमें राम के जन्मस्थान अयोध्या से लेकर उनके वनवास के दौरान वे जहां-जहां गए जैसे चित्रकूट, प्रयागराज उन सभी जगहों पर चुनाव होना है. राम चूंकि भारतीय जनता पार्टी की राजनीति का केन्द्र रहे हैं, इसलिए चुनावी रैलियों में भाजपा ने राम मंदिर के मुद्दे को अपनी उपलब्धियों के तौर पर गिनाया है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अयोध्या की चारों सीटों पर भगवा लहराया था, साथ ही चित्रकूट की दोनों सीटों पर भी भाजपा का ही कब्जा रहा था. संगम नगरी प्रयागराज की 12 विधानसभा सीटों में से 9 सीटें भाजपा गठबंधन के खाते में आई थीं, जबकि बहुजन समाज पार्टी को दो और सपा को एक सीट मिली थी.
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मारी थी बाजीबहराइच में 6 सीट पर भाजपा जीती थी और सपा को 1 सीट से ही संतोष करना पड़ा था. इसी तरह बाराबंकी में भाजपा के उम्मीदवार 6 सीटों पर जीते, जबकि सपा को एक सीट ही मिल पाई. गोंडा में भाजपा ने सारी 7 सीटों पर अपना परचम लहराया था और विपक्ष का सूपड़ा साफ हो गया था. 2017 के विधानसभा चुनावों में कुछ ऐसा ही हाल कौशाम्बी का भी हुआ था, तीनों सीटें भाजपा के हिस्से में ही गई थी. प्रतापगढ़ ने प्रत्याशियों के अनुसार मतदान किया था. वहां भाजपा को 2 सीट, अपना दल को 2 सीट, 1 सीट कांग्रेस और 2 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे. श्रावस्ती में 1 सीट भाजपा और 1 सीट बसपा के खाते में गई थी. वहीं, सुल्तानपुर की आठ सीटों में 6 पर भाजपा जीती और दो पर सपा की साइकिल ने जीत हासिल की थी.
दांव पर अनुप्रिया पटेल की साखइस चरण के चुनाव में अनुप्रिया पटेल की साख भी दांव पर लगी है. भाजपा गठबंधन में उनके हिस्से में 17 सीटें आई हैं जिसमें से 7 प्रत्याशी इसी चरण में चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं अपना दल कमेरावादी से अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल समाजवादी गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर प्रतापगढ़ से चुनावी मैदान में हैं. हालांकि, अनुप्रिया ने मां के खिलाफ कोई प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतारा है. अनुप्रिया की बड़ी बहन पल्लवी सिराथू से उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं.
‘कई दिग्गजों के राजनीतिक भविष्य का फैसला’इस चरण में कई दिग्गजों के राजनीतिक भविष्य का फैसला होना हैं जिसमें कुंडा से राजा भइया, अरविंद सिंह गोप, अमेठी के राजा संजय सिंह जो इस बार भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं, उज्जवल रमण सिंह, केशव प्रसाद मौर्या, सिद्धार्थ नाथ सिंह, नंद गोपाल गुप्ता नंदी, प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा, प्रतीक भूषण सिंह जो कि ब्रज भूषण शरण सिंह के पुत्र शामिल हैं. उम्मीदवारों के साथ-साथ कुछ राजनीतिक दलों के अस्तित्व के लिए भी यूपी के रण का ये पांचवा चरण खास है.
कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले अमेठी में भी चुनाव होना है. पूरे चुनावी प्रचार में राहुल गांधी सिर्फ अमेठी में ही प्रचार करते दिखे बाकी इलाकों में प्रियंका गांधी ही सक्रिय रही हैं. पांचवे चरण के आखिरी दिन डिम्पल यादव भी चुनाव प्रचार में मैदान में कूदीं और सिराथू में पहली जनसभा को सम्बोधित किया. इस चरण में प्रयागराज के छात्रों से जुड़े मुद्दे काफी प्रभावी हैं. साथ ही साथ आवारा पशु से सड़कों पर जो दुर्घटनाएं और मौत हुई हैं वो भी एक बड़ा मुद्दा है.
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