ममता त्रिपाठीUP Elections 2022: नई दिल्ली. इसे किस्मत का खेल ही कहेंगे कि जो बालक अपने परिवार की मदद करने के लिए सिराथू (Sirathu) की गलियों में कभी अखबार बेचा करता था, वो आज देश के सबसे बड़े सूबे के उप मुख्यमंत्री (Uttar Pradesh Deputy Chief Minister) की कुर्सी संभाल रहा है. हम बात कर रहे हैं केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) की, जिनकी सहजता और सरल स्वभाव ने उन्हें पार्टी के नेताओं और जनता का दुलारा बना दिया है.
आपको बता दें कि यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य 2022 के विधानसभा चुनाव (UP Elections 2022) में कौशांबी जिले की सिराथू सीट (Sirathu Seat) से लड़ रहे हैं. सिराथू उनकी कर्मभूमि ही नहीं बल्कि वह जगह भी है जहां उन्होंने कभी फुटपाथ पर चाय बेची है. केशव प्रसाद मौर्य के बचपन की कहानी काफी हद तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलती जुलती है.
केशव प्रसाद मौर्य हर रोज 4-5 चुनावी सभाएं करते हैं. प्रदेश की एक दर्जन से भी ज्यादा सीटों पर केशव मौर्य की डिमांड है, उम्मीदवार उनके कार्यक्रम अपने क्षेत्र में लगवाना चाहते हैं. हेलीकाप्टर से सभाएं करने के बाद, वो हर शाम अपने विधानसभा क्षेत्र सिराथू में आकर लोगों से मिलते हैं. कार से आते जाते, फुटपाथ पर लोगों के बीच खड़े होकर पकौड़ी और जलेबी खाते नजर आते हैं. यही नहीं वह आज भी चाय वाले की केतली को हाथ लगाकर अपनेपन का एहसास भी करवाते हैं. अपनी चुनावी व्यस्तता के बीच केशव मौर्य अपने पुराने साथी अशोक कुमार मौर्य से मिलकर भावुक हो उठे, जो कभी उनके साथ घर-घर अखबार डालने का काम किया करते थे.
अखबार बांटते-बांटते संघ से हुआ जुड़ाव
केशव प्रसाद मौर्य पुरानी यादें ताजा करते हुए बताते हैं कि कैसे अखबार बांटते-बांटते संघ की शाखाओं में वो जाने लगे और उनकी किस्मत ने वहीं से करवट लेना शुरू कर दिया. केशव बताते हैं कि अखबार बेचने के साथ-साथ बचपन से ही संघ की शाखाओं में जाना शुरू कर दिया था. उसी समय मुझ पर अशोक सिंघल की निगाह पड़ी जिन्होंने मुझे विश्व हिंदू परिषद में काम करने का मौका दिया. लगभग 20 वर्षो तक विश्व हिंदू परिषद में काम करने के दौरान श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में भी भाग लिया. केशव मौर्य ने 12 साल तक परिवार से कोई रिश्ता ही नहीं रखा क्योंकि परिवार को उनका शाखा में जाना पसंद नहीं था. केशव के बड़े भाई सुखलाल बताते हैं कि बचपन में केशव सुबह अखबार बेचते फिर पिता श्यामलाल के साथ चाय बेचने में सहयोग भी करते थे.
सिराथू में पहली बार कमल खिलाया
राजनीति में आने के बाद केशव ने पहला चुनाव 2004 में बाहुबली अतीक अहमद के प्रभाव वाली सीट इलाहाबाद पश्चिम से लड़ा. हालांकि साल 2004 और 2007 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद केशव ने 2012 के चुनाव में कौशांबी की सिराथू सीट से किस्मत आजमाई और उन्होंने इस सीट पर पहली बार कमल भी खिलाया. 2014 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और फूलपुर से सांसद भी बने. उसके बाद प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष के तौर पर काम किया. केशव मौर्य की कुशल संगठनात्मक क्षमता ही थी कि प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सारी पिछड़ों जातियों को भाजपा की तरफ लामबंद किया और 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रदेश में बंपर जीत हासिल हुई थी.
प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने का काम किया
भाजपा की जीत के बाद केशव मौर्य के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा भी काफी जोरों पर रही. मगर बाद में योगी सरकार में केशव मौर्य उप मुख्यमंत्री और पीडब्लयूडी मंत्री बने. पूरे प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने का काम इसी विभाग के पास था. सड़कें गड्ढामुक्त हो पाईं इसके जवाब में केशव कहते हैं कि हमने सभी हेडक्वार्टर को चार लेन सड़कों से जोड़ा, तहसीलों तक में डामर वाली और सीमेंट की सड़कें बन गईं जहां पहले गड्ढे ही गड्ढे हुआ करते थे. प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ. भाजपा सरकार में कानून व्यवस्था कैसी थी ये बात आप यहां मौजूद किसी भी महिला से पूछ कर देख लीजिए. इसका प्रत्यक्ष प्रमाण तीन चरणों के मतदान में दिख भी चुका है जिसमें आधी आबादी ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है.
अपने काम पर वोट मांग रहे हैं
सिराथू विधानसभा में चार लाख वोटर हैं जिसमें 1.50 लाख एससी, 72000 मुस्लिम, 46000 पटेल, 30000 यादव और 16000 ब्राह्मण वोटर हैं. केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन पल्लवी पटेल सपा से केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं. बसपा ने मुंसब उस्मानी को टिकट देकर चुनाव को मजेदार बना दिया है. कांग्रेस ने सीमा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है. ये सीट कभी बसपा का गढ़ मानी जाती थी मगर 2012 से इस सीट पर केशव मौर्य का दबदबा रहा है. जनसभाओं में केशव मौर्या खुद को सिराथू को बेटा बताते हुए अपने किए कामों के लिए वोट मांगते हैं तो पल्लवी पटेल भी खुद को सिराथू की बेटी बताकर अपने लिए वोट मांग रही हैं. हालांकि अनुप्रिया पटेल ने सिराथू में केशव के समर्थन में कई जनसभाएं की हैं. आपको बता दें कि ओबीसी में कुर्मी वोटर यहां निर्णायक भूमिका निभाता है. सिराथू में पांचवें चरण में 27 फरवरी को मतदान होना है.
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