UP Election Exit Polls: यदि एग्जिट पोल सही साबित हुए तो टूटेंगे कई रिकॉर्ड्स, CM योगी इन मिथकों को करेंगे ध्वस्त

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UP Election Exit Polls: यदि एग्जिट पोल सही साबित हुए तो टूटेंगे कई रिकॉर्ड्स, CM योगी इन मिथकों को करेंगे ध्वस्त



लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) खत्म हो गये हैं और असली नतीजे आने बाकी हैं. इस बीच एग्जिट पोल (Exit polls) में फिर से प्रदेश में भाजपा की सरकार (BJP Government) बनती दिख रही है. यदि ऐसा होता है तो ये अपने आप में एक नया इतिहास होगा. ये नया इतिहास अपने आप में कई नये रिकार्ड समेटे हुए भी होगा. तो आइये जानते हैं कि यदि एग्जिट पोल के नतीजे असली नतीजों से मैच कर गये तो कौम- कौन से मिथक टूटेंगे और कौन कौन से नये रिकार्ड बनेंगे.
1. 25 सालों के बाद फिर से रिपीट होगी सरकार
इससे पहले सिर्फ मायावती की सरकार ही रिपीट हुई थी. 1995 में जब मायावती की सरकार चली गयी थी उसके बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया था. फिर 1996 में चुनाव हुए. किसी को बहुमत नहीं मिला और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया. लेकिन 1997 में मायावती फिर से सीएम बनीं. तब भाजपा ने बसपा को समर्थन दिया था. उसके बाद से अब तक सीएम तो छोड़िए किसी पार्टी की सरकार तक रिपीट नहीं हुई है. यानी एग्जिट पोल सही सावित हुए तो ये पच्चीस सालों के बाद पहली बार होगा.
2. पंचायत चुनाव में जीतने वाले की विधानसभा के चुनाव में हार होती रही हैकम से कम पिछले तीन चुनावों के तो नतीजे यही बताते हैं. जब बसपा सरकार में थी तब सबसे ज्यादा उसके जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे. साल 2010 में मायावती के नेतृत्व वाली बसपा की सरकार यूपी में थी. 20 सीटों पर निर्विरोध जीत के साथ करीब 60 सीटों पर बसपा के अध्यक्ष जीते थे. दो साल के भीतर 2012 में विधानसभा के चुनाव हुए और पहली बार पूर्ण बहुमत की बनी बसपा सरकार धराशायी हो गयी. सरकार बनी सपा की जिसके सबसे कम अध्यक्ष जीते थे. अखिलेश सरकार में भी सपा के सबसे ज्यादा जिला पंचायत अध्यक्ष जीते थे. लेकिन, विधानसभा चुनाव में सपा की हार हो गयी. पिछले साल 2021 में हुए पंचायत चुनाव में सबसे ज्यादा बीजेपी के जिला पंचायत अध्यक्ष बने हैं. मिथक के मुताबिक, भाजपा की सरकार नहीं बननी चाहिए. लेकिन एग्जिट पोल सही सावित हुए तो ये मिथक टूट जायेगा.
3. नोएडा की बदलेगी किस्मत नोएडा के साथ साल 1985 से ये दुर्भाग्य जुड़ा हुआ है कि सीएम रहते जो भी नोएडा जाता है वो दोबारा सीएम नहीं बन पाता है. वीर बहादुर सिंह के समय से ये मिथक चलता आ रहा है. उनके बाद से जब भी किसी सीएम ने नोएडा की यात्रा की तो वो सत्ता में वापसी नहीं कर सका. ये मिथक नेताओं के मन में इस कदर घर कर गया था कि राजनाथ सिंह से लेकर अखिलेश यादव तक नोएडा जाने से बचते रहे और नहीं गये. यदि सूबे में फिर से भाजपा की सरकार बनती है और योगी आदित्यनाथ सीएम बनते हैं तो ये मिथक भी टूट जायेगा.
4. बलिया की बेल्थरा रोड, मेरठ की हस्तिनापुर, कासगंज, इटावा की भरथना और लखनऊ के बख्शी का तालाब सीट भी जीतेगी भाजपा.
प्रदेश में कई ऐसी सीटें हैं जिनके बारे में ये इतिहास रहा है कि यहां से जिस पार्टी का विधायक जीतता है, प्रदेश में उसी पार्टी की सरकार बनती है. सुल्तानपुर में सदर, कानपुर देहात, औरैया में बिधूना भी ऐसी ही सीटें हैं. अब जबकि एग्जिट पोल में भाजपा की सरकार बनती दिख रही है ऐसे में ये चर्चा तेज हो गयी है कि क्या उन सभी सीटों पर भी भाजपा के विधायक ही जीतेंगे.
5. एक्सप्रेस वे बनवाने वाली पार्टी की सरकार सत्ता से होती है बेदखल
यदि एग्जिट पोल के नतीजे सही सावित हुए तो ये मिथक भी इस बार टूट जायेगा. इसकी शुरुआत बसपा सरकार से हुई जब मायावती ने नोएडा से लेकर आगरा तक यमुना एक्सप्रेस वे बनवाया. एक्सप्रेस वे के पूरा होने से पहले ही बसपा की सरकार चली गयी. अखिलेश यादव ने आगरा – लखनऊ एक्सप्रेस वे बनवाया लेकिन, उनकी भी सरकार चली गयी. भाजपा सरकार ने भी अपने कार्यकाल में कई एक्सप्रेस वे बनवाये हैं. इनमें पूर्वांचल एक्सप्रेस वे सबसे अहम है. ऐसे में यदि भाजपा की सरकार फिर से बन जाती है तो ये मिथक भी टूट जायेगा.
6. 15 सालों के बाद विधानसभा का सदस्य बनेगा यूपी का सीएम
ये भी बड़ी चौंकाने वाली बात है कि पिछले 15 सालों से सूबे में उस व्यक्ति को सीएम बनने का सौभाग्य मिला है जिसने चुनाव नहीं लड़ा. चाहे 2007 से 2012 तक मायावती रही हों या फिर 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव या फिर 2017 से 2022 तक योगी आदित्यनाथ, कोई चुनाव लड़कर विधायक नहीं बना. बल्कि सभी बैकडोर इण्ट्री के जरिये विधान परिषद से विधायक बने. यदि एग्जिट पोल सही सावित हुए और योगी आदित्यनाथ फिर से सीएम बने तो 2003 में मुलायम सिंह के सीएम बनने के बाद ये पहला मौका होगा जब विधानसभा जीतकर कोई सीएम बनेगा.
7. कांग्रेस के बाद पहली बार मिलेगा दोबारा प्रचण्ड बहुमतजब कांग्रेस का जमाना था तभी ऐसा हुआ था कि प्रचण्ड बहुमत के साथ सरकार रिपीट हो गयी हो. यदि एग्जिट पोल सही होते हैं तो 1985 के बाद पहली बार ऐसा होगा. एग्जिट पोल में भाजपा को 220 से 280 तक सीटें दी जा रही हैं. 1985 में इतना बड़ा बहुमत या तो कांग्रेस सरकार को मिला था या फिर 2017 में भाजपा सरकार को मिला. अब दोबारायदि भाजपा 250 के आंकड़े को पार कर जाती है तो ये भी अपने आप में एक इतिहास होगा. इससे पहले अखिलेश यादव ने 224 और मायावती ने 206 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी थी.

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