आगरा. आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव (UP Election) में कांग्रेस (Congress) की आंधी चली थी, लेकिन अब पार्टी के लिए पिछले 26 साल से आगरा की चुनावी जमीन बंजर हो चुकी है. इससे पहले 1996 में आगरा की खेरागढ़ विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी मंडलेश्वर सिंह चुनाव जीत थे और तीन सीटों पर कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी. वहीं, उसके बाद से जिले की विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीत कर लखनऊ नहीं जा सके हैं. यही नहीं, जीतना तो दूर 2002 के बाद मुख्य मुकाबले में कांग्रेस के प्रत्याशी नजर नहीं आये. जबकि बीते दो चुनावों में गठबंधन के बाद भी कांग्रेस के प्रत्याशियों को सफलता नहीं मिल सकी.
बहरहाल, 26 साल पहले मंडलेश्वर ने 1193 वोटों से जीत हासिल की थी और उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी जगदीश चंद्र दीक्षित को हराया था. उस समय कांग्रेस का बसपा के साथ गठबंधन था. हालांकि 1996 के विधानसभा चुनाव के दौरान बाह, आगरा पूर्व और फतेहपुर सीकरी में कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे.
कोई उम्मीदवार नहीं बना जनता की पसंदमंडलेश्वर सिंह के विधायक बनने के बाद से आगरा की किसी भी विधानसभा सीट पर पार्टी का उम्मीदवार जनता की पसंद नहीं बन सका. यही नहीं, वजह है कि साल 1999, 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 के चुनाव में भी आगरा की जमीन पर कांग्रेस का सूखा खत्म नहीं हो सका.
2022 में कांग्रेस का महिलाओं पर भरोसाअगर 2022 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो इस बार कांग्रेस ने आगरा की 9 विधानसभा सीटों में से दो पर महिलाओं को उतारा है. बाह से मनोज दीक्षित और एत्मादपुर से शिवानी सिंह बघेल को उम्मीदवार बनाया है. इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के द्वारा उत्तर प्रदेश चुनावों को लेकर जो मेहनत की गई है, उससे कांग्रेस में उजाले की किरण एक बार फिर दिखाई दे रही है. इसके अलावा आगरा साउथ से अनुज शर्मा, आगरा नॉर्थ से विनोद कुमार बंसल, आगरा ग्रामीण से उपेंद्र कुमार, खेरागढ़ से राम नाथ सिकरवार और फतेहाबाद से होतम सिंह निषाद को टिकट दिया गया है.
कांग्रेस में मिलती है दलबदलुओं को जगहआगरा में कांग्रेस की बुरी हालत को लेकर ओम कुमार सिंह ने अपनी पार्टी को दोषी ठहराया है. उनका कहना है कि कांग्रेस में पुराने नेताओं की कोई अहमियत नहीं होती है और दलबदलू नेताओं को तवज्जो मिलती है. करीब 35 साल से कांग्रेस पार्टी से जुड़ा हूं, लेकिन पुराने कार्यकर्ताओं को कोई तवज्जो नहीं दी जाती है.
जातिगत राजनीति है कारणकांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रत्याशी रामजी लाल टंडन का कहना है कि कांग्रेस अपने समय की दमदार पार्टी रही है, लेकिन जब से जातिगत राजनीति का दौर शुरू हुआ तब से कांग्रेस पिछड़ती गई. इसका कारण यह है कि कांग्रेस कभी जातिगत राजनीति नहीं करती है. हालांकि कांग्रेस ने हमेशा जनता के हित का काम किया है, कांग्रेस सत्ता में रहे या न रहे हमेशा जनता के साथ है.
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