अयोध्या. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में अयोध्या (Ayodhya) को लेकर सियासी पारा चढ़ा रहा है. यही नहीं, इस बार बीजेपी (BJP) के साथ सपा और अन्य दलों ने भी अपनी पूरी ताकत झोंकी है. हालांकि इस बार भी बीजेपी राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण और शहर के विकास के साथ अपनी विरोधी समाजवादी पार्टी पर बढ़त बनाती दिख रही है. बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां की सभी चारों सीट पर भगवा लहराया था.
रामनगरी अयोध्या के रहने वाले राम शहारे पांडे ने एएनआई को बताया कि हम यहां विकास के नाम पर वोट करेंगे.वहीं, यह पूछे जाने पर कि अयोध्या में विकास कौन करेगा, तो राम शहारे ने कहा ‘योगी सरकार’. इसके साथ उन्होंने कहा कि स्वच्छता, अयोध्या का सौंदर्यीकरण, बेहतर पार्किंग व्यवस्था और सड़कों का चौड़ीकरण प्रमुख मुद्दे हैं. इसके अलावा शहारे ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण भी एक अहम बात है. मैं योगी को वोट दूंगा.
इस वजह से भी बीजेपी को मिलती दिख रही बढ़तराम मंदिर निर्माण के अलावा अयोध्या में बीजेपी को बढ़त दिलाने की अन्य वजहें सड़कों का चौड़ीकरण, सरयू घाटों की सफाई, राम की पैड़ी और बेहतर कानून व्यवस्था हैं. हालांकि बीजेपी के लिए यह आसान काम नहीं है क्योंकि अयोध्या में सपा उसे कड़ी टक्कर दे रही है.
बीजेपी विधायक से नाराज हैं लोग, लेकिन… अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर 2019 के सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पहला बड़ा चुनाव है. सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए सत्ता-विरोधी लहर पार्टी के वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है. इस वक्त भाजपा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और सपा के तेज नारायण पांडे (पवन पांडे) के बीच मुकाबला है. हालांकि वेद प्रकाश को लेकर स्थानीय लोग ज्यादा सकारात्मक नहीं दिखते हैं. बीजेपी ने गुप्ता को मैदान में तो उतारा है, लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार वे पिछले पांच वर्षों में शायद ही कभी अयोध्या के लोगों से मिलने गए हों. हालांकि बीजेपी के लिए लोगों का समर्थन भरपूर है. इसकी वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए लोगों की प्रशंसा और पीएम आवास योजना के तहत मुफ्त घर और राशन जैसे उनके कल्याणकारी उपायों से उपजा है.
सपा के ब्राह्मण चेहरे तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे ने 2012 में 5405 वोटों के मामूली अंतर से यहां जीत हासिल की थी. वे भी एक लोकप्रिय उम्मीदवार हैं और सार्वजनिक रूप से उनकी अच्छी प्रतिष्ठा भी है.
बीजेपी का गढ़ है अयोध्या1980 के दशक में शुरू हुए राम जन्मभूमि आंदोलन और 1992 में मस्जिद के विध्वंस के बाद से अयोध्या (पहले फैजाबाद) जिला 1991 से भाजपा का गढ़ रहा है. हालांकि 2012 में सपा के तेज नारायण पांडेय यहां से जीते लेकिन बीजेपी ने 2017 में उनसे सीट फिर छीन ली.
क्या हैं अयोध्या की समस्याएं?अयोध्या एक अन्य निवासी कुमार कौशल ने एएनआई से कहा कि सड़कों का चौड़ीकरण, राम मंदिर का निर्माण, अयोध्या का सौंदर्यीकरण प्रमुख मुद्दों में से हैं. जबकि योगी और मोदी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) ऐसे चेहरे हैं जिनके लिए हम मतदान करेंगे. साथ ही कौशल ने कहा कि कुछ व्यापारी और निवासी चिंतित हैं क्योंकि सड़कों के चौड़ीकरण के दौरान उनकी दुकानों और घरों को ध्वस्त कर दिया जाएगा, लेकिन सरकार ने उन्हें कोई भी कार्रवाई करने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था करने का आश्वासन दिया है. जबकि एक अन्य दुकानदार मीरा गुप्ता ने कहा, ‘दुकानों को तोड़ने के अलावा कोई समस्या नहीं है और सरकार पूरे अयोध्या में विकास कार्य कर रही है.’
बता दें कि मंदिरों के शहर अयोध्या में सरकार की सड़क चौड़ीकरण परियोजना को व्यापारियों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है. इसकी वजह है उनकी दुकानों का एक बड़ा हिस्सा तोड़ा जाएगा, लेकिन उन्हें अभी भी विश्वास है कि सरकार उनके साथ न्याय करेगी. एक दुकानदार नरेंद्र गुप्ता ने एएनआई को बताया, ‘हम बीजेपी को वोट देंगे क्योंकि हर तरफ विकास हो रहा है और सड़क चौड़ी की जा रही है. मेरे जैसे व्यापारियों के लिए थोड़ा दर्द है क्योंकि सड़कों के चौड़ीकरण के दौरान हमारी दुकानें गिरा दी जाएंगी. हालांकि सरकार ने कहा है कि हमें अपने व्यवसाय के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए और हमारी सहमति के बाद ही परियोजना शुरू की जाएगी.’
बता दें यूपी विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण में 27 फरवरी को 12 जिलों की 61 सीटों पर मतदान होना है. इसमें अमेठी, रायबरेली, प्रतापगढ़, कौशांबी, प्रयागराज, सुल्तानपुर, चित्रकूट, बाराबंकी, अयोध्या, बहराइच, श्रावस्ती और गोंडा शामिल हैं.
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