लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव (UP Chunav 2022) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party News) से गठबंधन कर पार्टी से लेकर चुनाव चिह्न की ‘कुर्बानी’ देने वाले चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Singh Yadav) की अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के साथ कड़वाहट खत्म होती दिख रही है. यूपी चुनाव (UP Chunav) में भले ही शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Yadav) को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav News) ने एक ही सीट दी हो, मगर भतीजे को जीत दिलाने के लिए चाचा प्रचार करने को पूरी तरह से तैयार हैं. अखिलेश यादव के लिए कल करहल में शिवपाल यादव गरजेंगे और कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे.
दरअसल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल सिंह यादव कल यानी शनिवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का चुनाव प्रचार करेंगे. शिवापल यादव शनिवार को करहल विधानसभा का सघन दौरा करेंगे और अखिलेश यादव की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार अभियान में उतरेंगे और वोट मांगेंगे. बताया जा रहा है कि मैनपुरी की करहल विधानसभा क्षेत्र में शिवपाल यादव कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे.
यहां ध्यान देने वाली बात है कि खुद शिवपाल सिंह यादव इटावा की जसवंतनगर सीट से समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले खबर थी कि अखिलेश यादव द्वारा केवल एक सीट दिए जाने की वजह से शिवपाल यादव नाराज हैं और वह करहल में अखिलेश के लिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगे. खबर थी कि वह केवल जसवंतनगर में ही अपने लिए प्रचार करेंगे. मगर अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि कल शिवपाल करहल में न केवल गरजेंगे, बल्कि अखिलेश को जिताने के लिए वोट भी मांगेंगे.
शिवपाल ने क्यों दी है कुर्बानीशिवपाल सिंह यादव का कहना है कि वह चाहते हैं कि अखिलेश यादव फिर से मुख्यमंत्री बने. अखिलेश यादव को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए उन्होंने अपनी पार्टी और चुनाव चिह्न की कुर्बानी दी है. उन्होंने कहा कि भले ही मैंने अलग पार्टी बना ली, मगर हमेशा नेता जी मुलायम सिंह यादव से मिलता रहा. वह हमेशा हमें और अखिलेश को एकजुट देखना चाहते हैं. वहीं एक सीट दिए जाने पर दर्द छलकाते हुए शिवपाल यादव ने कहा कि उनकी पार्टी ने सौ से अधिक सीटों पर कैंडिडेट भी फाइनल कर लिए थे, मगर उनके हिस्से केवल एक सीट यानी जसवंतनगर विधानसभा सीट आई.
बीते दिनों दिखी थी नाराजगीबीते दिनों शिवपाल यादव ने कहा था कि वह अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव (नेता जी) का बेहद सम्मान करते हैं और उन्हीं के कहने पर सपा गठबंधन का हिस्सा बने थे. उन्होंने कहा, ‘नेताजी कहते थे कि कम से कम सौ सीटें लेना, फिर बोले कम से कम से 200 सीटें लेना, लेकिन मैंने तो केवल 100 ही मांगी थी मगर उन्होंने (अखिलेश) ने कहा कि कुछ कम कर दो, तो पहले 65, फिर 45 और फिर 35 कर दी, फिर बोले यह भी ज्यादा है फिर मैंने कहा कि सर्वे करा लो, जितने भी हमारे जीतने वाले लोग हों, उन्हीं को टिकट दे दो. हम तो समझते थे कि कम से कम 20 या 25 लोगो को टिकट दे देंगे.’ उन्होंने कहा, ‘हमारी सूची में सभी जीतने वाले लोग थे. अगर हमारी मान ली होती तो इटावा सदर सीट पर कितना बढ़िया चुनाव होता. एकतरफा चुनाव होता लेकिन जब सूची निकली, तब केवल एक सीट मिली इसलिए हम चाहते हैं कि सबसे बड़ी जीत इस सीट पर उत्तर प्रदेश में होनी चाहिए.’
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